Desi Hindi Kahani गरम हसीना
इस पर युवती ने हल्की मुस्कराहट के साथ उसकी ओर देखकर कहा, ”भाई, मैं जब तक यहां हूं, तब तक तो तुम्हारी बोहनी जरूर करा दिया करूंगी।“ वह बोली, ”फिलहाल मैं दस दिनों के लिए ही अभी और हूं यहां। उसके बाद पुनः वापस लौट जाऊंगी।“
यह सुनकर मो0 रफीक थोड़ा मायूस होकर बोला, ”ये क्या मैडम जी!“ उसने शिकायती भरे लहजे में कहा, ”अभी ढंग से मेरी बोहनी भी नहीं हो पाई थी, कि आप हैं कि होटल छोड़कर जाने की बात करने लगीं।“ वह गंभीर होकर बोला, ”जरा मुझ गरीब भी दया करो।“ वह बोला, ”मेरी मानो, तो कुछ माह अभी और यहां ठहर जाओ। तुम्हारे द्वारा बोहनी होती रही, तो मेरी बिक्री अच्छी होती रहेगी और मेरे हालात भी तब तक शायद सुधर जायेंगे।“
”बेहद दिलचस्प इंसान हो तुम।“ युवती ने मो0 रफीक की आंखों में झांक कर कहा, ”मेरी बोहनी किसी के लिए इतनी असरकारक हो सकती है मुझे आज पता चला।“ उसने एक ठंडी आंह भरी, ”मुझे खुशी है, कि मैं तुम्हारे काम आ सकी यानी मेरी बोहनी से तुम्हारा कुछ तो भला हो जाता है।“ फिर मुस्करा कर बोली, ”चलो, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।“ वह मो0 रफीक के थोड़ा करीब आकर बोली, ”क्या नाम है तुम्हारा?“
”जी मुझे मो0 रफीक कहते हैं।“ वह भी मुस्करा कर बोला।
फिर उनके बीच बातचीत का सिलसिला चल पड़ा। बातचीत में पता चला, कि दोनांे अविवाहित हैं। फिर दो दिनों के अंदर ही दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए।
एक दिन रफीक अचानक रात्रि के लगभग नौ बजे शैफाली के कमरे के बाहर पहुंचा और दरवाजे पर दस्तक दी।
दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनकर शैफाली ने अंदर से पूछा, ”कौन है?“
”मैडम मैं हूं।“ मो0 रफीक ने धीमे स्वर में कहा, ”जरा दरवाजा खोलना।“
शैफाली को लगा, कि बाहर शायद कोई होटल का कर्मचारी है, अतः उसने अंदर से ही कह दिया, ”फिलहाल कोई काम नहीं है। जरूरत पड़ने पर स्वयं ही खबर कर दूंगी।“
इस पर मो0 रफीक ने दरवाजे पर पुनः दस्तक दी, तो इस बार शैफाली भड़क उठी, ”ये होटल वाले भी बिल्कुल एक नम्बर के गधे हैं।“ वह बुदबुदाते हुए बोली, ”जब देखो बेवजह परेशान करने चले आते हैं।“ और उसने दरवाजा खोल दिया।
सामने मो0 रफीक को देखकर वह सहसा घबरा गयी, ”अरे तुम!“ वह दीवार घड़ी पर नजर दौड़ाते हुए बोली, ”इस वक्त… अचानक कैसे आना हुआ? सब खैरियत तो है?“
इस पर रफीक सिर्फ मुस्करा कर रह गया। उसने कोई जवाब नहीं दिया। तभी उसे शैफाली के मुंह से शराब की तेज बदबू आयी। इस पर रफीक ने मुंह परे करते हुए पूछा, ”मैडम आप ड्रिंक भी करती हैं?“
”हां।“ शैफाली बोली, ”शौकिया तौर पर।“ उसने पूछा, ”आप ड्रिंक नहीं लेते क्या?“
रफीक मुस्करा पड़ा, ”शराब तो बेहद छोटी चीज है।“ उसने शरारत भरे स्वर में कहा, ”मैं तो इंसान का गोश्त तक खा जाता हूं।“
यह सुनकर शैफाली खिलखिला कर हंस पड़ी, ”सुनकर अच्छा लगा।“
”अब बाहर खड़े रखकर ही मुझसे बतियाती रहोगी या अंदर आने को भी कहोगी।“ वह बोला, ”या फिर मैं यहीं से चला जाऊं?“
इस पर शैफाली आगे से हट गयी, ”किसने रोका है?“ वह मुस्करा कर बोली, ”आ जाओ अंदर।“
मो0 रफीक ने कमरे के अंदर प्रवेश किया, तो शैफाली ने झट से कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
कमरे में बेड पर एक अधेड़ व्यक्ति लेटा हुआ था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था, कि वह पूरे नशे में है।
उस अधेड़ व्यक्ति ने नशे के सुरूर में शैफाली को आवाज दी, ”कहां रह गयी जानेमन!“ वह मादक भरे स्वर में बोला, ”क्यों मूड खराब कर रही हो? जल्दी आओ और इंतजार न करवाओ।“ वह मदहोशी में बोला, ”पूरे दो हजार दिए हैं एक रात के।“
यह सुनकर जहां रफीक मुस्करा रहा था, वहीं शैफाली मारे शर्म के धरती में गढ़ी जा रही थी। उसे कुछ नहीं सूझ रहा था, कि इस स्थिति में क्या करे? क्या न करे? परन्तु रफीक कुटिल मुस्कान लिए मुस्कराए जा रहा था। दरअसल उसने ताड़ लिया था, कि शैफाली एक शातिर काॅलगर्ल है।
मो0 रफीक ने कुटिल अंदाज में शैफाली की ओर देखा, ”माफ करना मैडम जी।“ वह कटाक्ष करता हुआ बोला, ”गलत वक्त पर आ गया।“ वह आंखे घुमाते हुए बोला, ”आप खुलकर मस्ती करो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा।“
इस पर शैफाली हौले से बोली, ”जब मेरी सारी असलियत तुम पर खुल ही चुकी है, तो फिर अब पर्दा करने से कोई फायदा नहीं है।“ उसने रफीक की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ”आप बैठ जाइए और प्लीज़ यह बात बाहर किसी से नहीं कहिएगा। वरना होटल में मेरी नाक कट जाएगी।“
”आप बिल्कुल चिंता न करें।“ मुस्करा कर बोला रफीक, ”आप यूं समझिए, कि मैं यहां पर आया ही नहीं और न ही मैंने कुछ देखा और सुना।“ वह बोला, ”मैं हरगिज तुम्हारी बदनामी नहीं चाहता।“ फिर उस अधेड़ की ओर इशारा कर बोला, ”मगर इसका क्या करोगी?“
शैफाली हौले से मुस्करा कर बोली, ”साला बेवड़ा, बेजान है।“ सांकेतिक भाषा में बोली, ”तुम जरा यहीं ठहरो, मैं अभी इसकी विकेट गिरा के आती हूं। मेरा पुराना कस्टमर है, अच्छी तरह जानती हूं इसे।“
यह सुनकर रफीक खुशी से प्रफुल्लित हो उठा। दरअसल रसिक मिजाज, रफीक की मुंहमांगी मुराद आज पूरी होने वाली थी।
इस बीच शैफाली ने रफीक के सामने व्हीस्की की एक बोतल, एक कांच का गिलास व काजू का एक छोटे पैकेट रख दिया, ”डार्लिंग, जब तक मैं इसे(अधेड़ कस्टमर को) निपटाती हूं, तब तक तुम शराब का लुफ्त उठाओ।“ वह शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ बोली, ”उसके बाद शबाब का भी मजा दिल खोलकर लूटना।“
शैफाली की मद भरी बातें सुनकर मो0 रफीक मुस्करा कर रह गया।
उसके बाद शैफाली उस अधेड़ कस्टमर के पास पहुंची, तो वह सो चुका था। दरअसल उसने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली थी और अब वह शबाब का मजा लेने में असमर्थ हो चुका था, अतः शराब के नशे के झांेक में सो गया था।
इसके बाद शैफाली ने अधेड़ को जगाने का प्रयास करते हुए कहा, ”डार्लिंग काफी रात हो गयी है। अब तुम घर जाओ।“
शैफाली की बात सुनकर नशे में टुन अधेड़ ने ठंडी आंह भरी, फिर वह कमरे से बाहर निकला और जल्दी में एक आॅटो पकड़ कर निकल गया।
अधेड़ के जाते ही शैफाली ने शरारतपूर्ण अंदाज में रफीक की तरफ देखा, ”ज्यादा मत पीओ, वरना…।“ उसने चुहलबाजी करते हुए कहा, ”अभी जो बूढ़ा आया था, तुम्हारी हालत भी वैसी ही हो जाएगी।“ वह उसके होंठों से जाम हटाते हुए बोली, ”बस करो, बहुत पी ली है तुमने।“
इस पर रफीक मुस्कराया, ”अभी तो मात्रा दो पैग ही पिए हैं। तीसरा पैग तुम्हारे साथ लूंगा।“ उसने जिद की, तो शैफाली अपना पैग लेकर उसके साथ बैठ गयी। फिर जल्द ही दोनों नशे के सुरूर में आ गए।
शैफाली बेहद हसीन लग रही थी। फिर चैथा पैग समाप्त करने के बाद रफीक सहसा उठ खड़ा हुआ। उसने शैफाली को गोद में उठाया और बिस्तर पर आ गया।
फिर दोनों एक-दूसरे में ऐसे समा गये, जैसे जन्मों के प्यासें दीवाने हों। जब दोनों एक-दूसरे से अलग हुए, तो उनके चेहरे पर असीम व पूर्ण संतुष्टि के भाव थे। उस रात रफीक, पूरी रात शैफाली के साथ ही रहा।
दरअसल शैफाली का असली नाम शाइमा था। वह एक अंतर्राष्ट्रीय काॅलगर्ल थी। उसका काठमांडू अक्सर आना-जाना था, पर वह हर बार अलग-अलग होटलों में ठहरती थी, ताकि उस पर किसी का शक नहीं जाए। काॅलगर्ल के धंधे में वह शैफाली के नाम से चर्चित थी।
जल्द ही शैफाली उर्फ शाइमा ने आकर्षक सब्जबाग दिखाकर मो0 रफीक को भी धंधे में अपने साथ कर लिया।
दरअसल धंधे में शैफाली को एक पुरूष साथी की बेहद आवश्यकता थी। चूंकि शैफाली की नज़र में रफीक एक ईमानदार इंसान था, अतः उसने उसे अपने साथ रखा। उसके बाद रफीक लस्सी बेचने का धंधा छोड़कर देह की दलाली के काम में लग गया। हालांकि वह सिर्फ शैफाली के लिए ही देह दलाली करता था।
जल्द ही उन्हें लगा, कि यदि वे दोनों शादी कर लें, तो उन्हें और भी फायदा होगा। दरअसल उनका मानना था, कि इससे घर का पैसा घर में ही रहेगा। फिर दोनों ने शादी कर ली। चूंकि रफीक, शैफाली के धंधे पर कोई एतराज नहीं था, अतः शैफाली ने शादी के बाद भी वेश्यावृत्ति का धंधा जारी रखा।
इसी बीच उनके इस धंधे की भनक काठमांडू पुलिस को कहीं से लग गई, जिस कारण पुलिस उनके पीछे लग गई। विकट स्थिति देख दोनों कुछ समय को छिपने के लिए दिल्ली में आ गए।
यहां(दिल्ली) आने पर भी उन्होंने अपना वेश्यावृति का धंधा जारी रखा हुआ था। उसके अलावा यहां उन्होंने ब्लैकमेलिंग व लूटपाट का धंधा भी शुरू कर दिया।
लगातार इस तरह की कई घटनाएं घटने के बाद पुलिस हरकत में आ गयी। उसके बाद मुस्तैद पुलिस ने अपना जाल बिछाकर आखिरकार शैफाली व रफीक को गिरफ्तार कर ही लिया।
कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र हो सकता है।