रिक्शेवाला और स्कूल गर्ल
एक गर्ल्स स्कूल के सामने दो रिक्शेवान खड़े होकर बतिया रहे थे।
“स्कूल में छुट्टी होने वाली है…”-एक रिक्शेवान बोला।
“सुबह से बोहनी नहीं हुई….शायद भाड़ा मिल जाय…..”-दूसरा बोला।
“भाड़ा मिले न मिले लौंडिया तो देखने को मिलेगी।….”
“कल तू क्यों नहीं आया था?….एक कन्टास माल मिली थी।….दूध की तरह गोरी-गोरी टाँग…..उसके घर के सामने ही
मूतने के बहाने मूठ मारा था।”
“कल मेरी साली जाने वाली थी तो सोचा क्यों न रगड़ दूँ….”
“तो….रगड़ दिया….”
“सोच तो यही रहा था….लेकिन साली के नखरे बहुत हैं….बोल रही थी मैं किसी रिक्शेवाले को नहीं दूँगी….मन तो कर रहा
था वहीं लिटाकर उसकी गाड़ चोद दूँ लेकिन बीवी थी इसलिये बच गई बहन की लौड़ी….”
“तो….कुछ तो किया ही होगा…”
“ऐसे कैसे छोड़ देता…..चूची इतनी कस के मीजा है कि एक महीना मुझे याद करेगी….”
“जियो शेर…..और नीचे वाले में ऊँगलीबाजी नहीं की…”
“मन तो कर रहा था 5 कि पाँचों घुसा दूँ लेकिन फिर भी 3 तो घुसेड़ कर ही माना……”
“तेरी जगह मैं होता तो लिटाकर चाप दिया होता साली को……वो मर्द ही क्या जो हाथ में आई चूत को छोड़ दे….”
“घर में बीवी नहीं होती तो बचने वाली कहाँ थी……लेकिन शादी से पहले तो बोरी (चूत) में छेद करके ही मानूँगा…”
“ये हुई न मर्दो वाली बात…….”
तभी घंटी बजी।
यानि छुट्टी हो गई थी।
नीले चेकदार स्कर्ट और सफेद शर्ट में हाई स्कूल व इंटर की लड़कियाँ निकलने लगीं।
ऐसा लग रहा था जैसे पूरा भेड़ो का झुंड ही भागता चला आ रहा हो।
सारी लड़कियाँ अच्छे घरों की थी इसलिये गोरी, मोटी और चिकनी टांगें देख-देख कर
सारे रिक्शावालों का लौड़ा फन्नाने लगा।
सब कि सब एक से एक कन्टास थी। अगर छाँटने को कहा जाय तो जो भी हाथ में आ जाय वही बेहतर।
“साली क्या खाती हैं ये सब……..एक दम दूध मलाई की तरह चिकनी…”
“सब ताजा-ताजा जवान हुई मुर्गियाँ हैं……नरम गोस्त है अभी….पकड़ के दबोच लो तो खून फेंक दें……”
“गाँड़ देख सालियों की…..एकदम चर्बी से लद गई है…….जिसके हत्थे चढ़ेगीं छेदे बिना नहीं छोड़ेगा….”
तभी एक मस्त कुँवारी कच्ची लड़की एक के पास आकर बोली-
“भइया, मिश्रा कालोनी चलने का क्या लोगे?”
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लड़की के आते ही दोनों की भाव-भंगिमायें ऐसी हो गई मानों दुनिया के सबसे शरीफ इंसान वही हो।
“जो समझ में आये दे देना अब आप लोगों से क्या माँगें”- शराफ़त से उसने बोला तो लेकिन लड़की की चूचियों का उभार
और उसकी तन्नाई हुई नुकीली चोच देखकर उसका लौड़ा चड्ढी में लिसलिसाने लगा था।
“नहीं पहले भाड़ा बोलो तब बैठूंगी….बाद में आप 10 का 20 मागो तो….”
“अच्छा चलो 15 दे देना……”
लड़की ने दूसरे रिक्शेवाले से पूछा-
“भइया…आप कितना लोगे?”
अभी तक दोनों में बड़ा याराना लग रहा था लेकिन लड़की के सामने आते ही दोनों मानों कटखने कुत्ते की तरह एक दूसरे
को देखने लगे थे।
“अब बेवी जी आप से क्या मोल-तोल करें…10 ही दे दीजियेगा……सुबह से बोहनी नहीं हुई आप के
हाथों से ही बोहनी कर लूँगा……”
लड़की झट से उस रिक्शेवाले के रिक्शे पर बैठ गई।
पहला वाला उसे जलती निगाहों से घूरता रहा।
पर दूसरे वाले की तो बल्ले-बल्ले निकल पड़ी थी।
इधर रास्ते में-
“अच्छा हुआ बेवी जी आप उसके रिक्शे में नहीं बैठी…”
“क्यों?”-लड़की ने पूछा।
“अरे वो बहुत कमीना है……”
“मतलब…..”-लड़की की दिलचस्पी कुछ बढ़ी।
“कैसे कहे आपसे?…….आपको बुरा लग सकता है।”
लड़की कुछ देर सोचती रही।
30 मिनट के इस सफर में बोर होने से अच्छा था कि रिक्शेवाले की चटपटी बातें ही सुनी जाए।
“बताओ तो क्या हुआ…..”
“अरे वो लड़कियों से बदतमीज़ी करता है…”
“किस तरह की बदतमीज़ी…..”
ये वो उमर होती है जब लड़कियों को बदतमीज़ी शब्द सुनकर ही गुदगुदी हो जाती है।”
“अरे वो लड़कियों को लेकर बहुत गंदा-गंदा बोलता है…..”
“क्या बोलता है?”
“आप लोगों को देखकर बोलता है क्या माल है यार…….बस एक बार मिल जाय….”
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खेत में फासी कुंवारी चिकनी माल
लड़की हल्के से फुसफुसाकर हंस पड़ी।
“मैं सच कह रहा हूँ बेवी जी….भगवान कसम…..इससे भी गंदी-गंदी बातें बोलता है…”
रिक्शेवान को लग रहा था कि लड़की चालू टाइप की है। इसलिये वो जानबूझकर मजा ले रहा था।
“पूरी बात बताओ न क्या-क्या बोलता है?….”
“अब जब आप इतना कह ही रही है तो बोल ही देता हूँ….”-रिक्शेवाले का लौड़ा चड्ढी में फनफनाने लगा-“…बोल रहा था
कि कितनी चिकनी-चिकनी हैं जैसे जवान मुर्गी……”
“अच्छा……सच में बहुत कमीना है…”-लड़की भी मस्त होकर सुन रही थी।
“अरे इतना ही नहीं……कह रहा था इनकी उस पर कितनी चर्बी चढ़ गई है….”
“किस पर?”-लड़की ने जानबूझकर रिक्शेवाले को बढ़ावा दिया।
“अब आपके सामने नाम कैसे ले?”
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“तुम बताओ ताकि पता तो चले कि वो कितना कमीना है…..”- लड़की की धड़कने बढ़ने लगीं थीं।
न जाने रिक्शावान क्या बोले।
“बात तो सही है आपकी…जब तक आपको बताउंगा नहीं तब तक आप जानेगीं कैसे कि कितना बड़ा कमीना है……..बोल
रहा था कि आप लोगों की गाँड़ पर कितनी चर्बी चढ़ गई है।”
लड़की का हँसने का मन कर रहा था लेकिन किसी तरह उसने कंट्रोल किया।
नासमझ बनने का नाटक करती हुई बोली- “ये क्या होता है?”
रिक्शेवाले को लगा की अंग्रेजी पढ़ने वाली लड़कियों को क्या पता की गाँड़ क्या होता है। इसलिये वो मस्ती से बताने लगा-
“अब आप लोग अंग्रेजी में पता नहीं क्या बोलती है लेकिन हम लोग उसे गाँड़ ही बोलते हैं…..”
“किसे?” -लड़की ने और बढ़ावा दिया। उसे ये सब सुनकर काफी मजा आ रहा था।
“अरे वहीं जहाँ से आप लोग पादती हैं…..”
“शिट…..”-लड़की को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रिक्शेवाला इतना खुला-खुला बोल देगा-
“….आप लोग करते होंगे
हम लोग नहीं करते इतना गंदा काम……”
लड़की की बात सुनकर रिक्शेवाले का लौड़ा फनफना गया था। चड्ढी के अंदर एकाध बूँद माल भी चूँ गया था। उसे तो
अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी।
“अब झूठ न बोलिये बेवी जी…….पादती तो आप भी होगी……हमारे सामने कहने से शर्मा रही हैं…..भला गाँड़ है तो पाद
निकलेगी ही….इसमें शर्माने की क्या बात है….”
“ये सब काम गंदे लोग करते हैं……..हम लोग नहीं….”
लड़की की गाँड़ डर के मारे सच में चोक लेने लगी कि कहीं वो सच में ही न पाद निकाल बैठे और रिक्शेवान को आवाज
सुनाई दे जाय।
“अब आपका तो पता नहीं बेवी जी लेकिन जब हम अपनी बीवी को रात में गाँड़ में चापते हैं तब वो ज़रूर पाद मारती
है…..हो सकता है शादी के बाद आपके साथ भी हो……अरे मैं भी क्या बात कर रहा हूँ…….आप इतनी सुन्दर है…..आपकी
गाँड़ भी मोटी है…..आपका पति तो पक्का आपकी गाँड़ चोदेगा……..और जब चोदेगा तो पाद तो निकलेगी ही….”
रिक्शेवाला अपनी औकात भूल बैठा था। मस्ती का खुमार ऐसा उस पर चढ़ गया था कि वो क्या-क्या बके जा रहा है उसे
पता नहीं चल पा रहा था।
“अच्छा अब चुप करो और चुपचाप रिक्शा चलाओ……”- लड़की ने जब देखा की रिक्शेवाला कुछ ज्यादा ही अंट-शंट बकने
लगा है तो उसने उसे हड़काया।
रिक्शावाले की मस्ती को मानों ब्रेक लगा हो।
“सॉरी बेवी जी……लगता है कुछ ज्यादा ही बोल गया…..”
इसके बाद रिक्शे पर कुछ पलों के लिये संनाटा छाया रहा।
रिक्शेवाले की हिम्मत न पड़ी दुबारा कुछ भी बोलने की।
लेकिन अब लड़की को अपने भीतर एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।
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