कभी-कभी जानबूझ कर अपने वक्ष पर से साड़ी का आंचल गिरा लेती, तो कभी खुजलाने के बहाने अपनी गोरी, नग्न पिंडलियों को दिखा-दिखाकर जतन राय की व्याकुलता बढ़ाने लगती थी।
एक रोज जतन राय ने शन्नो को आंगन में बैठकर निर्वस्त्रा नहाते देख लिया, तो वह खुद को संभाल नहीं पाया। जाने वह कैसी बचैनी व व्याकुलता थी, कि एकाएक ही उसने शन्नो को अपनी बांहों में दबोच लिया और कहा, ”अब मुझे और मत तड़पाओ मेरी शन्नो। जिस रोज से तुम्हें देखा है, मेरा दिल वश में नहीं रहा। कदाचित तुम नहीं जानती पर मैं तुम्हें शुरू से प्यार करता हूं और इसलिए मैंने नटवर को पैसे देकर तुम्हें राजी करने के लिए तुम्हारे घर भेजा था।“
”क्या…!’’ शन्नो ने चैंकते हुए पूछा, ”नटवर ने आपसे पैसा लिया था?“ वह मन-ही-मन बड़बड़ाते हुए बोली, ”इसीलिए अपना उल्लू सीधा करके भाग गया, तभी तो आजकल दिखाई नहीं दे रहा है, अब मैं समझी।“
फिर कुछ सोचकर वह सेठ से बोली, ”अगर तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो, तो मुझसे शादी करनी होगी। पहले वादा करो, फिर मैं अपना तन तुम्हें सौंप दूंगी।“
जतन राय उस स्थति में थे, कि वह शन्नो से अलग नहीं हो सकते थे। उन्होंने शन्नो का शन्नो जैसा बदन देख लिया था तथा अब उस पर प्यार की मुहर लगाना चाहते थे।
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”शादी… हां मैं शादी करूंगा। मैं तुम्हें प्यार करता हूं।“ कहते हुए जतन राय तड़प कर शन्नो के मक्खन से चिकने बदन को फिर से अपनी बांहों में लेने के लिए आगे बढ़ते हुए बोला, ”और तुम यह बात अपने दिमाग से निकाल दो कि तुम मेरी आया हो। तुम्हारा स्थान मेरे कदमों में नहीं, मेरे दिल में है। भले ही लोगों की नज़रों में तुम हमारे घर की नौकरानी हो, पर वह समय भी शीघ्र आएगा, जब मैं तुमसे विवाह कर लूंगा। मैं तुमसे वादा करता हूं, कि शन्नो मेरी बात पर यकीन करके मेरी इच्छा पूरी कर दो।“
जतन राय खूब तड़पा, घिघियाया और मिन्नते कीं। शन्नो ने अपना तन उसे सौंपने से पहले उससे अनेक वायदे कराये और फिर उसे सपर्मित हो गयी। जतन राय, शन्नो के सोना जैसे बदन का स्वाद पाकर खुद को दुनिया का खुश किस्मत इंसान समझ रहा था। शन्नो ने जतन राय का दिल जीतने में कोई कसर नहीं उठा रखी थी।
जतन राय अमीर व्यक्ति था। उसके पास 40 बीघे जमीन के अलावा बाग, आलीशान मकान तथा लाखों के बैंक-बैलंेस थे। जतन राय के पिता जमींदार थे। उनकी मृत्यु के बाद जतन ने बाप की छोड़ी गयी सम्पत्ति पर ऐश की जिन्दगी जीना शुरू कर दिया। सुरा व सुंदरी जतन की कमजोरी बनती गयी।
हालांकि जतन राय शादीशुदा था, लेकिन वह पत्नी से दूर-दूर ही रहता था। दरअसल उसे शुरू से ही परायी पत्तल चाटने का चस्का लग गया था। कुछ दिनों पहले ही जतन की बीवी राधिका का एक बीमारी में देहांत हो गया था। उस समय राधिका से वर्षों बाद एक लड़की बाद लड़की पैदा हुई थी, जिसका नाम कमला उर्फ कमली था। वह चार साल की हो गयी थी। जतन राय को पत्नी से तो पहले ही प्रेम नहीं था, पर उसकी मासूम बच्ची कमली की देख-रेख आवश्यक थी, जिसके लिए एक आया की जरूरत थी। जतन राय ने अपने पुराने नौकर नटवर को इस काम पर लगा दिया और कहा कि आया ऐसी तलाश करो, जो कमली का खासतौर पर ख्याल रख सके। साथ ही उनकी जिस्मानी जरूरत भी पूरी कर सके। नटवर तो उस्ताद ही था। वह अपने मालिक की मन की बात को समझता था। उसने जतन राय को यकीन दिलाया और खूबसूरत लड़की की तलाश में निकल गया।
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फिर नटवर ने सोचा कि क्यों न वह एक ऐसी लड़की को पटाये, जो चालू हो तथा बुद्धिमान व समझदार भी हो। दरअसल नटवर की योजना थी, कि लड़की पहले अपने हुस्न व जवानी के तीर से जतन राय को घायल करे, फिर उसके दिल में स्थान बनाए, उसे अपनी अंगुलियों के इशारे पर नचाये, जतन राय उससे शादी करे और फिर लड़की उसकी सम्पत्ति पर कब्जा करके धीरे-धीरे जतन राय को मौत के घाट उतार सके। आखिर में उसकी योजना लड़की से शादी करके जतन राय की प्राॅपर्टी पर राज करना था।
अपनी फुल-प्रूफ योजना बनाकर नटवर शन्नो से मिला था। 21 साल की शन्नो भरपूर जवान तथा हसीन युवती थी। नटवर ने शन्नो को अपनी योजना समझा दी थी। शन्नो, नटवर की योजना पर सहमत हुई। इस प्रकार शन्नो जतन राय के घर पहले आया के तौर पर रहने आयी, बाद में वह जतन राय के दिल पर राज करने लग गयी थी।
कई डेढ़ वर्षों बाद जतन राय ने आखिरकार शन्नो से विवाह कर लिया। शन्नो की खुशी का ठिकाना ना रहा। अब नटवर की योजना का अगला चरण बाकी था। शन्नो ने इस पर काफी सोचा। उसके मन में यह बात चुभने लगी थी, कि अगर जतन राय की हत्या की बात उजागर हो गयी, तो वह इसमें फंस जायेगी। पुलिस उसे गिरफ्तार करके जेल भेज देगी। उसकी जिन्दगी बर्बाद हो जायेगी। बड़ी मुश्किल से तो उसे यह नसीब मिला था। फिर कई दिनों तक वह सोच-विचार करती रही। अंततः शन्नो ने नटवर का खेल बिगाड़ने का फैसला कर लिया। उसने अपने पति जतन राय से नटवर की सच्चाई बता दी। जतन राय ने इस पर तुरन्त एक्शन लिया। उसने नटवर को धक्के देकर घर से निकाल दिया। नटवर को यकीन नहीं था, कि शन्नो उसके साथ ऐसी चाल चल सकती है। वह उसका मुंह देखता रह गया। जबकि शन्नो ने राहत की सांस ली। उस रोज से शन्नो अपने नसीब को संवारने में
जुट गयी है।
कथा लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है।