हेल्लो दोस्तों मेरा नाम इन्दरपाल सिंह हैं और मैं पंजाब से हूँ. ये स्टोरी मेरी बहन की हैं इस स्टोरी में मैंने बताया है की कैसे मेरी बहन को हमारे नौकर से चुद्वाते हुए देखा था. हॉप की आप यह स्टोरी लाइक करेंगे मेरी आँखों देखी इस चुदाई का वर्णन.
मेरी उम्र २४ साल हैं और मैं एम् ए की पढाई कर रहा हूँ. मेरी सिस्टर का नाम मनदीप कौर हैं और वो २५ साल की हैं. उसकी पढ़ाई खत्म हो गई हैं और डेड मोम उसके लिए रिश्ता ढूंढने में लगे हुए हैं. मनदीप का रंग सफ़ेद कोटन जैसा हैं और उसका फिगर भी काफी अच्छा हैं. हमारे घर में मैं, मनदीप, मोम, डेड और दादा जी इतने लोग हैं. घर की मुख्य आमदनी खेती से आती हैं.
इस कहानी का एक और केरेक्टर हैं जिसका नाम गोपाल हैं. उसकी उम्र ४२ साल हैं और वो हमारे खेत में का करता हैं. हमारे घर के पास ही हमने उसे २ रूम बना कर दिया हैं और वो वही पर रहता हैं.
वैसे गोपाल की शादी हो चुकी हैं और उसके दो बच्चे भी हैं. लेकिन वो ज्यादातर खेत में ही रहता है, खेत में भी हमने एक रूम बनाया हुआ हैं.
एक दिन मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने का प्लान बनाया था इसलिए मैं खेत की और गया. मैं चेक करने गया था की खेत में कोई हैं या नहीं. मैंने सोचा की अगर खेत में कोई नहीं हुआ तो अपनी गर्लफ्रेंड पिंकी को वहाँ ले जाके उसे चोदुंगा. मैंने कार निकाली और मैं खेत की और चल पड़ा. कार को मैंने खेतों की दूसरी साइड में खड़ा किया और मैं खेत की और बढ़ा. मैंने देखा की हमारा नौकर गोपाल काम कर रहा था.
मैंने सोचा की इस साले को किसी बहाने घर भेज देता हूँ और पिंकी को यहाँ ला के उसे चोदता हूँ. गोपाल ने अभी तक मुझे नहीं देखा था. मैं बेकसाइड से अभी फ्रंट साइड पर आ ही रहा था की मैंने देखा की मनदीप अपनी एक्टिवा ले के आ रही थी. मैंने सोचा की ५ मिनिट वेट कर लेता हूँ मनदीप के जाने की.
मनदीप ने आके गोपाल से कहा, गोपाल डेड कहा हैं मैं उनके लिए खाना लाइ हूँ.
गोपाल ने हंस के कहा, साहब तो किसी काम से पंचायत गए हैं और वहां से घर चले जायेंगे.
मनदीप को इसके बाद गोपाल ने जो कहा वो सुन के मेरे रोंक्टे खड़े हो गए, लेकिन मेरी जान खाना लाइ हैं तो मैं खा लूँगा.
यह सुन के मनदीप भी बेशर्म की तरह हंस रही थी. मैंने सोचा यह बेन्चोद क्या बोल रहा हैं मादरचोद, लगता हैं की मार खायेगा वो. लेकिन मनदीप को उसे स्माइल देते देख के मुझे गरबड लगी. मैंने सोचा देखता हूँ की यह दोनों क्या करते हैं. मनदीप ने कहा, गोपाल काम हो गया हैं तो खाना खा लो.
गोपाल बोला, मैं हाथ मुहं धो लूँ.
मनदीप बोली, गंदे हो गए हो नाहा ही लो.
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गोपाल ने हंस के कहा, अगर मेरी जान नहला दे तो मैं नाहा भी लूँगा.
मनदीप ने हंस के कहा, जाओ चुपचाप नहा लो.
गोपाल ट्यूबवेल के पास गया और अपने कपडे निकाल के चारपाई के ऊपर रख दिए. गोपाल लोटे से पानीडाल के नाहा रहा था. मनदीप सामने खड़ी देख रही थी. कुछ लोटे पानी के डालने के बाद गोपाल ने अपना हाथ अपनी लंगोट में डाला और वो लोडे को धोने लगा. मनदीप खी खी करते हुए हंस पड़ी. गोपाल ने इधरउधर देखा और अपना लोडा बहार ही निकाल दिया.
ये देखो, तुम्हारी याद में दुबला हो गया हैं!
साला, मन तो किया की ऊपर से निचे चिर के अन्दर नमक भर दूँ लेकिन मैं देखना चाहता था की मेरी बहन किस हद तक जा सकती हैं. गोपाल के लंड को देखने के बाद तो मनदीप तो जैसे खुश हो गई थी. उसने भी इधर उधर डेक के गोपाल से कहा, दुबला कहा हुआ हैं पिछले साल से तो यह इस से बहुत पतला था.
गोपाल और मनदीप दोनों हंस पड़े. गोपाल ने अपने बदन को कच्छे से पूंछा और बोला, भीतर चलोगी?
देर तो नहीं करोगे ना?
नहीं जल्दी वाला कर लेंगे जानेमन…!
मनदीप का हाथ पकड के गोपाल उसे खेतवाले कमरे में घुसा. मैं खिड़की पे खड़ा हो गया और एक छेद से अन्दर का द्रश्य देखने लगा. गोपाल ने सीधे ही मनदीप का सलवार खोलने के लिए उसका नाड़ा अपने हाथ में लिया. गोपाल नाडा खोल रहा था और मनदीप ने अपना हाथ आगे कर के उसका लोडा अपने हाथ में पकड़ा. मनदीप का यह रूप मेरे लिए बिलकुल ही नया था.
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दोनों नंगे हुए और मनदीप की चुंचियां मैंने पहली बार देखी. उसके चुंचे बड़े बड़े थे बिलकुल गोल और जैसे उसका बदन था गोरा वैसे ही उसकी चुंचियां भी गोरी थी. हरामी गोपाल ने सीधे ही अपनी जबान को चुन्चियों के ऊपर रख दिया और जोर जोर से चूसने लगा. मनदीप आह आह कर रही थी. गोपाल ने चुंचे चूसते हुए अपना हाथ आगे किया और मनदीप की गांड को दबाने लगा. उसका हाथ अब धीरे से गांड की गोलाइयों से चूत के छेद की और बढ़ा. उसने अपनी एक ऊँगली चूत के छेद में डाली और वो अपनी ऊँगली से ही वो मनदीप को चोदने लगा.
जल्दी करो, मुझे घर जाना हैं!
अरे तनिक देर तो रुक जाओ डार्लिंग.
अरे नहीं, माँ बहुत गुस्सा करेगी. बाकी की कसर तुम घर निकाल लेना.
साला, गोपाल मेरी बहन को मेरे घर भी चोदता था.
ठीक हैं, फिर घोड़ी बन जाओ, गोपाल ने चुन्चियों से मुह हटाते हुए कहा.
मनदीप दिवार पकड के घोड़ी बन गई. गोपाल ने पीछे से अपना हाथ आगे किया और मनदीप के बड़े कूल्हों को खोल के छेद को ढूंढने लगा. चूत दीखते हुई उसने अपने मुहं से ढेर सारा थूंक वहाँ निकाला.
तुम बड़े गंदे हो गोपाल!
अरे यह तो चिकनाहट के लिए हैं डार्लिंग मेरी!
इतना कह के गोपाल ने सीधे अपना लोडा चूत के द्वार पर रख दिया. मनदीप के बदन में थोड़ी हलचल हुई और गोपाल ने एक झटके में लोडा डाल दिया. मनदीप ने आह भरी क्यूंकि गोपाल का पूरा लोडा चूत में घुस गया था. गोपाल ने हाथ आगे कर के मनदीप की दोनों चुंचियां अपने हाथ में भर ली. मनदीप अपनी गांड हिला रही थी और गोपाल अपना लोडा पीछे से चूत में ठोक रहा था. कमरे से आह आह की आवाजें आ रही थी और मैं फटी आँखों से मनदीप की चुदाई देख रहा था. मनदीप की सिसकियाँ गोपाल के बड़े लोडे की गवाही थी!
कुछ देर कुतिया बनवा के चोदने के बाद गोपाल ने अपना लोडा निकाला.
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क्या हुआ निकलनेवाला हैं? मनदीप ने गोपाल से पूछा.
हाँ डार्लिंग खोलो अपना मुहं.
मनदीप ने अपना मुहं खोला और गोपाल अपना लोडा हिलाने लगा. उसने मुठ मारी और जैसे ही वीर्य निकला मनदीप ने अपना मुहं खोल के वो सब पी लिया. मैं यह सब देखता ही रह गया. सच कहूँ तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई की जाके गोपाल की गर्दन दबोच लूँ. मनदीप कपडे पहन के अपनी एक्टिवा ले के चली गई और मैं भी चुपके से वहाँ से खिसक लिया. सोचता हूँ गोपाल को नौकरी से निकलवा दूँ वरना बहन पेट फुला के आ ना जाएँ घर पर!
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