तन को भाये यार ही बांहें Vasna Love Story
कुछ देर तक वह यूं ही अपने ऊपर पानी डालती रही। फिर और अधिक राहत पाने की गरज से उसने घड़ा उठाया और पूरा पानी अपने बदन पर उड़ेल दिया। अब उसे गर्मी से राहत मिली थी।
उसके गोरे जिस्म पर पानी की बूंदे मोतियों-सी चमकने लगी थी। कपड़ों के नाम पर शरीर पर एक मात्र साड़ी गीली होकर उसके बदन पर चिपक गयी थी और उसका अंग-प्रत्यंग स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगे थे। जो बेहद की मादक लग रहे थे।
शंकुतला घड़ा रखने के लिए नीचे झुकी ही थी कि पीछे से उसे किसी ने अपनी बलिष्ठ बाहों में जकड़ लिया। एक पल तो वह घबरा गयी, लेकिन जब उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ने वाली की जानी-पहचानी गर्म-गर्म सांसों का अनुभव हुआ तो मुस्करा कर बोली, ”अरे, संजू यह क्या करते हो? यूं खुले में कोई देख लेगा।’’
”मेरी जान! यहां हमें देखने वाला कोई नहीं है।“
कहते हुए संजू ने उसके जिस्म पर अपनी बांहों का कसाव और बढ़ा दिया। फिर उसके अधर शंकुतला की पीठ पर फिसलने लगे। शंकुतला भी मस्ती में आकर बहकने होने लगी, तो वह समझ गई अब संजू बिना अपनी मनमानी किये मानने वाला नहीं है। वह हर बार की तरह इस बार भी अपनी जिद करके ही हटेगा।
फिर उसने संजू से छूटने का उपक्रम करते हुए कहा, ”अच्छा चलो, कमरे में चलते हैं। यहां कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी।“
इतना सुनते ही संजू, शंकुतला को गोद में उठाकर कमरे में चला गया।
वैसे शंकुतला शादीशुदा थी। उसकी शादी बबलू से 12 साल पहले हुई थी। बबलू मजूदरी करता था। साथ ही उसने झाड़-फूंक का काम भी सीख रखा था, जिससे उसे पर्याप्त आमदनी हो जाती थी।
बबलू के साथ ही संजू भी काम करता था और वह भी शादीशुदा थी। संजू का मकान बबलू के मकान के नजदीक ही था।
शादीशुदा होने के बावजूद संजू का मिजाज बेहद आशिकाना था, इसलिए वह इधर-उधर तांका-झांकी करता रहता था। खेतों पर काम करने वाली महिलाओं को लालच के जाल में फंसाकर वह उनसे अपनी इच्छापूर्ति भी कर लेता था।
संजू अक्सर ही काम के सिलसिले में बबलू के पास आता-जाता रहता था। गांव के रिश्ते में वह संजू का चाचा लगता था, इसलिए शंकुतला उसे पर्दा करती थी।
एक दिन संजू अपनी छत पर खड़ा था, तभी शंकुतला अपनी छत पर कपड़े सुखाने आई। उस दिन पहली बार संजू ने शंकुतला की सूरत देखी, तो वह उसे एकटक देखता ही रह गया।
अचानक शंकुतला की नज़र संजू पर पड़ी, तो वह अचकचा कर पलटी और संजू से पर्दा कर लिया। शंकुतला इस बात से अंजान थी कि उसके तीखे नैन-नक्श के बाण संजू के दिल को बेध चुके हैं।
उधर शंकुतला का सामीप्य पाने की चाह अब संजू के दिल में हिलोरे मारने लगी थी। वह अक्सर किसी न किसी बहाने शंकुतला से मिलने उसके घर पहुंचने लगा। बबलू नहीं होता, तो वह उसका इंतजार करने के बहाने बैठ जाता।
संजू, शंकुतला से बातचीत करता तो वह पर्दे की ओट से ही उसकी बातों का जवाब देती। मौका मिलने पर वह शंकुतला की सुंदरता की तारीफ कर देता था।
औरतों को अपनी सुंदरता की तारीफ सुनना सबसे ज्यादा प्रिय लगता है, इसलिए संजू की बातें सुनकर शंकुतला पुलकित हो जाती थी। उसे यह भी आभास हो गया था कि संजू के मन में उसके लिए क्या भावनायें हैं। इसीलिए उसे खुद भी संजू की बातों में रस आने लगा था।
शंकुतला उसकी आवभगत करती। बच्चों को गोद में लेने के बहाने वह शंकुतला का जिस्म छू लेता, जिसका वह बुरा मानने के बजाए मुस्करा कर रह जाती। अब संजू, शंकुतला की आर्थिक मदद करने लगा था। शंकुतला को जब जरूरती होती, वह संजू से बेहिचक पैसे उधार मांग लेती।
एक दिन संजू, शंकुतला के घर आया, तो वह आईने के सामने श्रृंगार कर रही थी। साड़ी का आंचल गिरा हुआ था। उसके मादक शरीर के ऊपरी वस्त्रों के भीतर कसे उसके नाजुक अंग अपनी काया का सम्मोहन बिखेर रहे थे।
संजू चुपचाप खड़ा शंकुतला के मादक जिस्म को देखने लगा। उसकी धमनियों में दौड़ रहा रक्त गर्म होने लगा। शंकुतला उसकी मौजूदगी से अंजान थी। संजू काफी देर तक शंकुतला के सौंदर्य का नेत्रों से रसपान करता रहा।
शंकुतला ने मुड़कर संजू को खड़े देखा, तो चैंक गयी। सिर पर पल्लू डालने के लिए शंकुतला ने हाथ बढ़ाया ही था कि संजू ने उसका हाथ थाम लिया और बोला, ”शंकुतला, बनाने वाले ने खूबसूरती देखने के लिए बनाई है। मेरा बस चले, तो अपने सामने तुम्हें कभी आंचल डालने ही न दूं।“
”आपको तो हर वक्त शरारत सूझती रहती है। जब आप मुझे छूने की कोशिश करते हैं, तो मुझे डर लगता है कि कहीं रीना के पापा न देख लें।“ शंकुलता मुस्कराते हुए बोली।
”पर मेरी शरारत का कहीं तुम बुरा तो नहीं मानती न?“
”बिल्कुल नहीं!“ मुस्कराते हुए बोली, ”एक बात बताओ, कहीं आप मीठी-मीठी बातें करके मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे हो।“
”सच्चाई तुम जान ही गई हो, तो दिल की बात बता ही दूं। सच तो यह है कि जिस रोज तुम्हें देख नहीं लेता, बेचैनी महसूस होती है। तभी तो किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं। अब तो डर लगता है कि कहीं तुम्हारी चाहत मुझे पागल ही न कर दे।“
संजू की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि शंकुतला बोली, ”पागल तो आप हो ही चुके हैं, जो आप मेरी आंखों में झांक कर नहीं पढ़ पा रहे हो, कि इनमें आपके लिए कितनी चाहत है। दिल की भाषा को आंखों से पढ़ पाने में भी आप अनाड़ी ही हो।“
”सच कहा तुमने, मैं अनाड़ी ही निकला। लेकिन आज यह अनाड़ी, खिलाड़ी बनना चाहता है। क्या तुम मेरा साथ दोगी?“ कहते हुए संजू ने शंकुलता के चेहरे को अपने हाथों में भर लिया।
पलभर बाद शंकुतला, संजू की बाहों में कैद थी। आंखंे बंद कर उसने अपना सिर संजू के सीने पर टिका दिया। संजू का हौसला बढ़ा और उसके हाथ शंकुलता के उन्नत हौले से नाजुक यौवन कलशों पर थिरकने लगे।
”मर्दां की तरह पकड़ो मेरे ‘कलशों’ को।“ कसमसाती हुई बोली शंकुतला, ”इस तरह क्या औरतों की तरह…।“ थोड़ा मुस्कराती हुई बोली शंकुतला, ”ऐसे तो मैं खुद भी अपने कलशों…“
अभी शंकुतला अपनी बात पूरी करती, उससे पहले ही संजू ने ऐसे मसल डाले शंकुतला के कलशों को, की वह चीख कर बोली, ”मर्द की तरह बोला था मैंने, बेदर्द की तरह नहीं। ऐसे कैसे कर रहे हो?“
”ऐसे भी नहीं वैसे भी नहीं, तो फिर कैसे मेरी रानी?“
”ऐसे मेरे राजा।“ कहकर शंकुतला ने संजू के ‘पहलवान’ को पकड़ कर हौले से सहला दिया।
शंकुतला ही यह अदा तो जैसे संजू का कत्ल ही कर गई। उससे अब और नहीं रह गया और उसने झट से शंकुतला के एक-एक वस्त्रा उसके तन से जुदा करते हुए उसे पूर्ण निर्वस्त्रा कर डाला। फिर खुद भी उसी अवस्था में आ गया।
”जानेमन अब तैयार हो जाओ।“ संजू उसके दोनों कबूतरों को मसलते हुए बोला, ”मैं आक्रमण बोलने करने वाला हूं।“
”तो करो न आक्रमण मेरे वीर बहादुर।“
”डरोगी तो नहीं, मेरे हमले से।“
”मैं भला क्यों डरने लगी।“ वह हौले से बोली, ”मैं कौन-सा पहली बार आक्रमण को झेलने वाली हूं।“
”लेकिन जिसका ‘हमला’ तुमने अपने ‘गमले’ में झेला होगा, वो कोई ऐरा-गैरा रहा होगा।“ संजू बोला, ”मेरा पहला वार, तुम्हारे पति की तरह हल्का-फुल्का नहीं होगा।“
”अजी पहले आप हमला तो किजिए, फिर देखा जायेगा।“ शंकुतला भी कामुक नजरों से घूरते हुए बोली, ”अब उतर जाइसे मेरे मैदान-ए-जंग में।“
संजू ने जब पहला ‘हमला’ शकंुतला की ‘जमीं’ पर किया तो उसकी ‘जमीं’ एकदम से चरमरा गई…
”उई मां… इतना घातक हमला।“ दर्द से जबड़े भींचते हुए और संजू को कंधे से पकड़ती हुई अपने से अलग करने का प्रयास करती हुई बोली शंकुलता, ”परे हटो… आह.. मर गई…अपने हाथ खड़े किये ये लो, अब रोक दो हमले को।“
”अब हाथ खड़े करने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि अब कोई और खड़ा हो चुका है।“
”बेशर्म कहीं के।“ कसमसाती हुई बोली शंकुतला, ”कौन खड़ा हो गया है?“ फिर होंठों पर मुस्कान लाती हुई बोली, ”सब समझती हूं तुम्हारा इशारा क्या है?“
”अरी मेरे अंदर का शैतान खड़ा और खूंखार हो गया है, तू खामंखां पता नहीं क्या-क्या सोचती रहती है।“ फिर होंठो पर जीभ फिराता हुआ बोला, ”वैसे तू अब जो भी सोच, पर मैंने तो सोच लिया है कि आज तेरी गोरी चिकनी ‘जमी’ को अपने हमले से लहूलुहान कर दूंगा।“
”अब लहू करो या लुहान, मैं तो उत्तेजना में भूल चुकी हूं दोनों जहान।“ विशेष अदा से बोली शंकुतला, ”अब लो मेरी जान।“
”हाय मेरी जान, मैं तेरे कुर्बान।“ संजू भी मस्ती की लहर में बोला, ”अब देख तू कैसे लेता हूं मैं तेरी… जान।“
फिर दोनों एक-दूसरे को ऐसे मंथने लगे, जैसे कोई आटा गूंथ रहा हो। दोनों ही दीवाने पागलों की तरह एक-दूसरे चूमते चाटते रहे और फिर देखते ही देखते दोनों अपनी चरमसीमा पर पहुंच कर तृप्त हो गये।
कुछ ही देर में दोनों के बीच एक नया रिश्ता कायम हो गया था…
शंकुतला के जिस्म में खासा कसाव था। एक बार जब संजू का संबंध शंकुतला से बना तो वह उसमें खोकर रह गया। उधर शंकुतला को बहुत दिनों के बाद चरम सुख की प्राप्ति हुई थी।
दरअसल, पिछले कुछ सालों में संजू काम से थका-हारा लौटता था। इसी कारण वह शंकुतला के जिस्म की मुराद कम पूरी कर पाता था। ऐसे में जब शंकुतला की तपती कामना पर संजू के प्यार की फुहार पड़ी, तो वह उसी की मुराद होकर रह गई। अब दोनों को जब भी मौका मिलता, दोनों वासना की दरिया में डुबकी लगा लेते थे।
हालांकि दोनों इस मामले में काफी सर्तकता बरतते थे, लेकिन लोगों से उनके संबंध छिप नहीं सके। आस-पड़ोस के लोग उन दोनों को लेकर चर्चा करने लगे।
बात उड़ते-उड़ते बबलू के कानों तक पहुंची, तो सहसा उसे विश्वास ही नहीं हुआ। उसने छिप कर उन पर नज़र रखना शुरू किया, तो एक दिन उसने रंगे हाथ उन्हें पकड़ भी लिया।
संजू दबंग किस्म का आदमी था। बबलू ने जब पत्नी की बेशर्मी पर उसकी पिटाई की, तो संजू से मिलकर शंकुलता ने भी उसे पीट डाला और स्वच्छंद होकर बेशर्मी की सारी हदें पार कर बबलू के सामने ही संजू के साथ कमरे में बंद हो जाती थी। अब बबलू के पास चुप रहने का कोई चारा नहीं रह गया था।
एक बार घर में कलह ने पैर पसारे तो फिर वह बढ़ती ही चली गई। बबलू और शंकुतला के बीच मारपीट एक आम बात हो गई। वजह एक ही थी, संजू।
पास-पड़ोस के लोग संजू और शंकुतला के संबंधों को लेकर चटकारे ले-लेकर बबलू पर ताने कसते। तानों से घायल बबलू को जब बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं रही, तो उसने आत्महत्या कर ली। संजू और शंकुतला द्वारा बबलू को आत्महत्या करने को प्रेरित करने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र होगा।