उसकी भीगी जवानी Kamvasna Sex Katha
अमित उठकर दरवाजे तक पहुंचा और किवाड़ खोलते ही चैंक गया। खुले दरवाजे पर सिर से पांव तक भीगी हुई, एक खूबसूरत युवती खड़ी थी। उसने जीन्स की छोटी मिनी स्कर्ट और सफेद रंग की बदन से सटी टी-शर्ट पहन रखी थी। टी-शर्ट का पहनना और न पहनना दोनों इस वक्त बराबर था, क्योंकि भीगा हुआ टी-शर्ट उसके शरीर से चिपक गया था और उसकी मांसल देह स्पष्ट नुमाया हो रही थीं। अमित पहली ही नज़र में भांप गया कि युवती टी-शर्ट के नीचे कुछ भी नहीं पहने थी। उसके शरीर में सनसनी की लहर दौड़ गयी।
कुछ क्षण युवती को घूरते रहने के बावजूद उसे युवती की सूरत जानी-पहचानी नहीं लगी। उसने अपने दिमाग पर जोर डालकर युवती को पहचानने की कोशिश की, किन्तु कामयाब नहीं हुआ। कुछ ही क्षणों में उसे यकीन आ गया कि आज से पहले उसने युवती को कभी नहीं देखा था। अतः उसने व्यर्थ सिर खपाने की बजाए, उस युवती से ही पूछ लेना उचित समझा, ”कहिए किससे मिलना है?’’
‘‘मुझे नहीं मालूम।’’ युवती बोली।
फिर युवती ने महसूस किया कि उसकी बात स्पष्ट नहीं है, अतः जल्दी से बोल पड़ी, ‘‘मेरा मतलब है कि बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है, अगर आपकी इजाजत हो तो बारिश बंद होने तक मैं यहां रूक जाऊं?’’
‘‘जी हां, क्यों नहीं। प्लीज़, अंदर आ जाइए!’’
युवती कमरे में दाखिल हो गयी। अमित ने उसके पीठ पीछे दरवाजा बंद कर दिया।
‘‘मेरा नाम मोना है। मैं….।’’
‘‘परिचय बाद में दीजिएगा, पहले आप भीतर जाकर कपड़े बदल लें। वरना बीमार पड़ जायेंगी। आलमारी में से जो भी आप पहनना चाहें, पहन सकती हैं। आप चेंज करके आइए तब तक मैं आपके लिए चाय बनाता हूं।’’ युवती के परिचय देने से पहले ही उसकी बात बीच में काटकर, वह बोला।
कहकर अमित किचन की ओर बढ़ गया। युवती जिसने अपना नाम मोना बताया था, बेडरूम में पहुंच कर कपड़े बदलने लगी। जींस उतार कर उसने अमित का पजामा-कुर्ता पहन लिया। मर्दाना लिबास में उसकी खूबसूरती पहले से अधिक निखर आई। वह ड्राइंगरूम में पहुंची, तो दो कपों में चाय उड़ेलता अमित उसे ठगा-सा देखता रह गया।
‘‘ऐसे क्या देख रहे हो?’’ मोना ने इठलाते हुए एक बदनतोड़ अंगड़ाई ली।
‘‘तुम बहुत खूबसूरत हो, और….।’’
‘‘और क्या?’’ मोना ने उसकी आंखों में देखा।
‘‘बहुत ज्यादा सैक्सी भी।’’
‘‘सच….!’’
‘‘एकदम सच, मैंने तुम जैसी हसीन लड़की ताजिन्दगी नहीं देखी। सच पूछो तो मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि स्वर्ग की एक अप्सरा मेरे सामने खड़ी है। मुझे सब कुछ स्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा है।’’
‘‘तुम मुझे बना तो नहीं रहे?’’
‘‘बिल्कुल नहीं।’’
‘‘फिर तो मेरी तारीफ करने के लिए शुक्रिया।’’ मोना मुस्करा उठी।
‘‘काश! तुम ताजिन्दगी यूं ही मुस्कराती रहती और मैं तुम्हें निहारता रहता।’’
‘‘….और इस निहारने के चक्कर में चाय ठण्डी हो जाती।’’ मोना ने कहा और हंस पड़ी।
‘‘अरे! चाय को तो मैं भूल ही गया था।’’
अमित ने एक कप तत्काल उसे पकड़ाया और दूसरा स्वयं उठा लिया। दोनों चाय पीने लगे, मगर इस दौरान भी अमित ललचाई नज़रों से मोना के कपड़ों के भीतर छिपे उसके मदमस्त बदन की कल्पना कर आनंदित होता रहा।
‘‘बाई दी वे, तुम्हारा नाम क्या है?’’ मोना ने अचानक पूछा।
‘‘अमित।’’ वह बोला, ‘‘अमित कश्यप।’’
‘‘हां तो, मिस्टर कश्यप जी आप ये बताइये, कि कहीं आप मुझ पर लाइन तो नहीं मार रहे हैं?’’
‘‘तुम्हें ऐसा लगता है?’’ अमित ने कहा।
‘‘जी हां, तभी तो पूछ रही हूं।’’
‘‘तो समझ लीजिए ऐसा ही कुछ है। मैं सचमुच तुम पर लाइन मार रहा हूं, क्योंकि तुम्हारे इस सांचे में ढले बदन ने मुझे दीवाना बना दिया। काश! मेरी दीवानगी का कोई बेहतर सिला तुम मुझे दे पातीं, तो ताउम्र तुम्हारा एहसानमंद रहता।’’
‘‘गुड! तुम्हारा स्पष्टवाद होना मुझे पसंद आया। मुझे तुम्हारी दीवानगी भी पसंद आई, मगर यूं ही दूर-दूर से ही अपना प्रेम प्रकट करते रहोगे या करीब आकर भी कुछ….।’’
‘‘सो स्वीट!’’ अमित चहक उठा।
आगे बढ़कर उसने मोना को अपनी बांहों में भर लिया। इस प्रक्रिया में उसे अपना चाय का प्याला सेंट्रल टेबल पर रखना पड़ा। उस स्थिति का पूरा फायदा उठाया मोना ने, क्योंकि उसने अपनी अंगूठी का कैप उठाकर पाउडर जैसा कोई पदार्थ उसकी चाय में डाल दिया।
अमित बड़ी बेसब्री से उसके कुर्ते के अंदर हाथ डालकर उसकी नग्न चिकनी पीठ को सहला रहा था।
‘‘इतनी जल्दी भी क्या है, डार्लिंग? पहले हम चाय तो खत्म कर लें।’’
‘‘जिसके आगे सोमररस का प्याला हो, वह भला चाय क्यों पीएगा?’’
‘‘क्योंकि मैं ऐसा कह रही हूं।’’
‘‘ओ.के. स्वीट हार्ट!’’ कहकर अमित ने जल्दी से अपना कप खाली कर दिया।
इसके बाद उसने मोना को पुनः अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी होंठो को कुचलने लगा। मोना के मुख से मादक सिसकारियां निकलने लगी। वह अमित का पूरा साथ दे रही थी। देखते ही देखते अमित ने उसका कुर्ता उतार फंेका और उसके नाजुक कोमलांगों को सहलाते हुए, उसके अंग-अंग को चूमने लगा। उत्तेजना के अतिरेक से मोना ने भी अमित का चेहरा अपनी बांहों में भींच लिया।
ठीक इसी वक्त अमित की पकड़ ढीली पड़ने लगी। पूरा कमरा उसे गोल-गोल घूमता प्रतीत होने लगा और कुछ ही क्षणों में बेहोश होकर वह फर्श पर पसर गया।
‘‘साला मुफ्त का माल समझता था।’’ बड़बड़ाती हुई मोना बाथरूम की ओर बढ़ गयी।
करीब दो घंटे बाद अमित का होश आया। तब तक मोना जा चुकी थी। हड़बड़ा कर वह उठ बैठा और पूरे घर का नजारा लिया। घर का सारा कीमती सामान व नकद आठ हजार रुपए जो कि उसने अपने बटुए में रखे थे, सभी नदारद थे। अमित को समझते देर नहीं लगी कि वह ठगी का शिकार हुआ है, मगर अब वह कर भी क्या सकता था?
अभी अमित इस हैरत भरी स्थिति से उबर भी नहीं पाया था, कि दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने बेमन से उठकर दरवाजा खोला और हैरान रह गया। दरवाजे पर मोना से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत एक युवती भीगी हुई खड़ी थी।
‘‘कहिए?’’
‘‘जी बाहर तेज बारिश हो रही है। क्या मैं बारिश बंद होने तक यहां रूक सकती हूं?’’
सुनकर अमित के होंठों पर एक विषैली मुस्कान तैर गई। उसे समझते देर नहीं लगी कि एक बार फिर उसे ठगने की कोशिश की जा रही है। मन ही मन उसने युवती को मजा चखाने का फैसला कर लिया और मुस्करा कर बोला, ‘‘जी हां, क्यों नहीं, आप भीतर आ जाइए।’’
युवती तत्काल कमरे में दाखिल हो गयी।
‘‘आप ऐसा कीजिए, पहले कपड़े बदल लीजिए, वरना बीमार पड़ जायेंगी।’’
कहकर उसने बेडरूम की ओर इशारा किया और फिर बोला, ‘‘तब तक मैं आपके लिए चाय बनाकर लाता हूं।’’
‘‘जी थैंक्यू!’’ कहकर युवती बेडरूम की ओर बढ़ गयी और अमित किचन की तरफ।
किचन में पहुंच कर अमित ने चाय बनाई और उसमें नशीली गोली मिला दी। थोड़ी देर बाद जब वह चाय का कप लेकर ड्रांइगरूम में पहुंचा, तब तक युवती कपड़े बदल कर आ चुकी थी। वह अमित की जींस और शर्ट पहने थी। ये कपड़े उस पर खूब फब रहे थे।
अमित ने चाय का प्याला उसकी ओर बढ़ा दिया। युवती चाय पीने लगी, तो अमित एक बार पुनः मुस्करा उठा।
नशीली गोलियों ने जल्दी ही असर दिखाया और युवती अर्ध-बेहोशी की स्थिति में पहुंच गयी। अमित ने तत्काल ही उसे बांहों में भर लिया और एक-एक कर उसके कपड़े उतार डाले। युवती उसका विरोध कर रही थी, मगर अमित को स्वयं से परे धकेलने की ताकत उसमें नहीं थी।
अमित ने उसके नग्न बदन को अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले जाकर उसके कोमलांगों को सहलाने लगा। युवती कराह उठी। कुछ अस्फुट से स्वर उसके मुंह से निकले, ‘‘कमीने…घर में आई अकेली…. लड़की से…. अच्छा हुआ, जो मैं अनजान बनकर तुमसे यहां मिलने चली आई। वरना कहीं तुम जैसे शैतान से मेरी शादी हो जाती, तो…. देखना मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी।’’
उसकी आधी-अधूरी बात का मतलब भी अमित बखूबी समझ गया। उसकी खोपड़ी भिन्ना गई। उफ् ये उसने क्या कर डाला? उसका दिल हुआ अपने बाल नोंचना शुरू कर दे। वह युवती और कोई नहीं बल्कि उसकी मंगेतर थी।
कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र हो सकता है।