Kamvasna Sex Kahani दो प्यासे यौवन
दोनों की एक साथ नौकरियां लगीं और शादी भी जुलाई के महीने में हुई थी। शादी करके दोनों सहेलियां करोल बाग चली गई थीं।
यहां भी इत्तेफाक ने पीछा नहीं छोड़ा… दोनों सहेलियांे की शादी हालांकि अलग अलग तारीख को हुई थी, पर महीना एक ही था।
जुलाई का महीना। जहां दोनों की शादी हुई वह ईलाका भी एक ही था। यानि करोल बाग। दोनों का ससुराल एक ही गली में था। मकानों के बीच फासला भी ज्यादा नहीं था।
एक सहेली दो नम्बर के मकान में रहती थी, तो दूसरी सहेली दस मकान छोड़कर रह रही थी। दोनों के पति बिजनेसमैन थे और उनका घर-परिवार बेहद खुशहाल था। फिर दोनों सहेलियां भी नौकरियां कर ही रही थीं।
दोनों ने इसी शर्त पर शादियां की थी, कि वे सरकारी नौकरियां नहीं छोड़ेंगी। वैसे भी सरकारी नौकरियां मिलती ही कहां है? लगी लगाई सरकारी नौकरी छोड़ना भी बुद्धिमानी का काम नहीं, इसलिए दोनों के पतियों ने दोनांे सहेलियों की ये मांगे मान ली थीं, तभी दोनों की शादियां सम्भव हुई थी।
रीमा तथा सीमा जनकपुरी की रहने वाली थीं। उनके माता-पिता भी खूब पैसांे वाले थे, इसलिए आर्थिक अभाव तो दोनों सहेलियों ने कभी देखा ही नहीं था। दोनों विदेशी कल्चर की दिवानी थीं। खासकर अमेरिकन सोसियल कल्चर तथा इंग्लैण्ड के सामाजिक कल्चर की दोनों दिवानी थीं।
दोनों सहेलियां काॅलेज में पढ़ते वक्त ही इन दोनों देशों की दो-तीन दफा सैर कर आई थीं। उसी सैर-सपाटे के दौरान उनका दिमाग भारतीय न रहकर अमेरिकन या इंगलिश बन चुका था। उन्हें कई विदेशी कल्चर की बातें पसन्द आई थीं। पर कई बातें या रिवाज बेहद घटिया या गलत लगे थे।
वक्त का पहियां घूमता रहा और दोनों सहेलियों की शादियां हो गई थीं। शुरू-शुरू में तो दोनों सहेलियां यानि रीमा तथा सीमा अपने यौनात्मक वैवाहिक जीवन से प्रेमपूर्ण रूप से संतुष्ट तथा खुशहाल थीं।
पर पिछले एक-दो सालों से दोनों के पति अपनी पत्नियों के साथ बेवफाई कर रहे थे। यहां भी एक दोहरा इत्तेफाक दोनों सहेलियों की जिन्दगी में अटैच हो गया था। यानि दोनों सहेलियों के पति बेवफाई कर रहे थे और दोनों सहेलियों की दो-दो लड़कियां पैदा हुई थीं।
एक दफा जब सीमा ने अपनी सहेली रीमा का डेट आॅफ बर्थ पूछा, तो रीमा ने बताया, ‘‘मेरा तो डेट आॅफ बर्थ 10 जुलाई, 1982 है।’’
तब हैरान होते हुए सीमा ने भी कहा, ‘‘अरे! मेरा भी डेट आॅफ बर्थ यही है।’’ उसने उत्सुकतावश पूछा, ‘‘टाईम तथा बर्थ प्लेस क्या है?’’
‘‘दिल्ली में दस बजकर आठ मिनट सुबह के वक्त पैदा हुई थी मैं।’’
रीमा ने बताया तो सीमा चैंक गई, ‘‘ओह माई गाॅड! मेरा टाईम भी लगभग यही है यार!’’
‘‘तभी मैं कहूं हमारे साथ इतना इत्तेफाक क्यों हो रहा है?’’ रीमा मुस्करा कर बोली, ‘‘हमारा डेट आॅफ बर्थ तथा समय जो एक है। पिछले जन्म में जरूर हम दोनों सगी बहनें रही हांेगी।’’
‘‘तो इस जन्म में भी हम बहनों से कम थोड़े ही हैं।’’ सीमा भी बोली।
जब दोनों सहेलियों को अपने पति की बेवफाईयों के बारे में पता चला, तो उनके दिल भी मचल उठे। उन्होंने अपने पतियों को कुछ नहीं कहा, वे दोनों अपने पतियों को बेवफाई करने के लिए उकसाती रहीं और कहती रहीं, कि उनकी तरफ से उन्हें पूरी छूट है।
एक अय्याश पति को इससे बड़ी छूट मिल ही नहीं सकती। अंधा क्या चाहे, दो आंखें। बस दोनों अय्याश प्रवृत्ति के पतियों को पत्नियों की तरफ से छूट क्या मिली, दोनों आवारा भंवरे बन गये। पर उन्हें यह मालूम नहीं था, कि आवारा भंवरियां भी कुछ कम नहीं होतीं।
दरअसल रीमा तथा सीमा का भी अपने पति के एक ही तरह के यौनिक व्यवहार की वजह से उस यौनात्मक व्यवहार से उब चुकी थीं। उन्हें अपने काॅलेज के दिन याद आने लगे, जब कई सुन्दर तथा बलिष्ठ लड़के अपनी जान हथेली में बन्द करके खड़े रहते थे। वे अपनी जान को हथेली में बन्द करके हिला-हिला कर कहते थे, ‘‘मेरी जान, यह जान तुम्हारे लिए है।’’
यहां तक कि कई लड़के तो लड़कियों के बाथ में घुस जाते थे और जब लड़कियां या टीचर उन्हें यह समझाती थीं, कि यह बाथरूम तो केवल महिलाओं के लिए या लड़कियों के लिए है, तो ऐसी सूरत में कई बदमाश किस्म के लड़के अपना वस्त्रा खोलकर अपने नीचे के ‘पड़ोसी’ को दिखाकर पूर्णतः बेशर्म होकर कहते, ‘‘मैडम गुस्ताफी माफ हो, मगर हमारा ये ‘पड़ोसी’ भी महिलाओं के लिए ही है। इसे ऊपर वाले ने ही महिलाओं के लिए बनाया है।’’
“हाय! कितना, प्यारा जवाब दिया है, इस खसमा नू खान वाले ने। मैं तो वारी जांवां इस दी जवानी उत्ते।’’ एक पंजाबन ने अपना वस्त्रा बांधते हुए कहा था।
वही दिन याद करके रीमा तथा सीमा ने आपसी बातचीत के दौरान यह तय किया, कि एक परफेक्ट जिगोलो बुलाते हैं। दोनों मिलकर उसका उपभोग कर लेंगे।
आखिरकार दोनों ने एक रात को जिगोलो बुलवा ही लिया। दोनों सहेलियों ने कनाट प्लेस में दो दिन के लिए एक होटल में रूम बुक करवा लिया था। ताकि हाटल में रहकर वे जिगोलो की सेवाआंे का भरपूर आनन्द उठा सके।
दूसरी तरफ उनके पति अन्य लड़कियों व स्त्रिायों के साथ रंग-रलियां यह सोच कर मना रहे थे, कि उनकी पत्नियां घर में बैठ कर उनका इंतजार कर रही होंगी, बच्चों की देखभाल कर रही होंगी। आदमियों का जीवन कितना मजेदार है, यही सब सोचकर वे दोनों बहुत खुश हो रहे थे और अपनी-अपनी अय्याशियों में डूबे हुए थे।
मगर रीमा तथा सीमा अपने पतियों की सोच के विपरीत कुछ और ही प्लान कर चुकी थीं। जिगोलो बुलाने के लिए उन्होंने सबसे पहले इन्टरनेट पर “मेल सर्वेन्ट” नामक वेबसाईट पर सर्च किया। फिर उसी वेबसाईट को आगे खगांलते हुए उन्हें मेल प्रोस्टीडियुटी की विदेशी वेबसाईट मिल गई।
उसी वेबसाईट के एक जिगोलो के जरिये रीमा ने फोन प्राप्त करके इण्डिया में इस तरह की सर्विस देने वाले व्यक्तियों के बारे में तथा वेबसाईट के बारे में पूछा। विदेशी जिगोलो ने इण्डिया की कई मेल प्रोस्टी टियुट सर्विस प्रोवाईडर के विषय में बता दिया। बस उनका काम आसान हो गया।
दोनों ने कई वेबसाईटें खोलीं, ईमेल एड्रस ढूंढे, उन्हें अपना मेसेज भेजा, तब कहीं जाकर एक बेहतरीन किस्म के जिगोलो से उनका सम्पर्क हो गया। उस जिगोलो ने अपना नाम संदीप चैधरी बताया। साथ ही यह भी बताया, कि उसने एक बनियान का विज्ञापन भी किया है। वह एक अच्छा माॅडल है। कई लड़कियां उसकी दिवानी है, पर वह लड़कियों पर अपने प्रेम की धवल छटा न्यौछावर नहीं करता। केवल भूखी औरतांे व लड़कियों को अपने प्रेम की पिच्चकारी से होली खिलाता है।
ऐसे धांसू जिगोलो का प्रोफाईल जानकर दोनों सहेलियों की काम-कन्धरा मंे धुआं सा उठने लगा। सरसराता हुआ काम नीर बहने लगा। उस जिगोलो के हरफनमौला ‘हथियार’ को देखने तथा अनुभव करने की लालसा दोनों में बलवति हो गई।
उसी लालसा के तहत दोनों ने प्लानिंग की थी और होटल स्वर्ण पैलेस में दो दिन के लिए रूम बुक करवा लिया था। दोनों ने यही घर में यही बहाना बनाया था, कि वे अपनी सहेली के साथ आगरा घूमने जा रही हैं।
दोनों सहेलियों की दोस्ती पक्की थी। यह तो सीमाी जानते थे, इसलिए दोनों सहेलियों ने एक-साथ सामान पैक करके एक ही दिन घर से कूच किया था। होटल में रूम बुक करवाने से पहले दोनों सहेलियों ने यह तय किया था, कि पहले जिगोलो को बुला लेते हैं। उसे पति बनाकर होटल में जाएंगे।
रीमा ने जिगोलो से सम्पर्क करके कहां पहुंचना है, यह अच्छी तरह से समझा दिया था। सही टाईम पर जिगोलो वहां पहुंच गया। तब रीमा ने उसे समझा दिया, कि वह रीमा का पति बनकर होटल में अपना परिचय देगा और सीमा उसकी ननद है, यह कहना है।
इसमें जिगोलो को भला क्या आपत्ति होती? वह झट से तैयार हो गया और बीस हजार रुपये पेशगी ले लिए। रीमा ने पेशगी दे दी। कुल सौदा 50 हजार में तय हुआ था। फुल सन्तुष्टी की जिगोलो ने गारन्टी दी थी। फुल सन्तुष्टी के बाद ही बाकी की रकम मिलनी थी।
तीनों होटल के रूम में पहुंचे, तो जिगोलो ने आॅफर कर दी। कुछ खाने-पीने के लिए मंगवा लें।
‘‘क्या खाना-पीना है?’’ सीमा ने कहा, ‘‘तुम्हें जो पसंद हो, मंगा लो।’’
‘‘हां, तो फिर आप मुर्गा और वाईन का अरेन्जमेंट करवा दीजिए।’’ ।
‘‘ठीक है, हम पैसे दे देंगी, आॅर्डर तुम कर दो।’’
रीमा ने कहा तो जिगोलो ने रूम ब्वाॅय को बुलाकर आॅर्डर सर्व करने के लिए कह दिया और साथ में सौ रुपये टिप भी दे दी।
होटल के रूप में कम्प्यूटर तथा इन्टरनेट सुविधा उपलब्ध थी, तो जिगोलो ने अश्लील वेबसाईट इन्टरनेट पर खोल दी। वे वेबसाईट थीµ “ग्रुप सैक्स”
उस वेबसाईट पर फिल्म चालू ही हुई थी, कि उसी समय रूम ब्वाॅय सामान ले आया। सबसे पहले संदीप चैधरी(जिगोलो) ने तीन पैग बनाये। रीमा तथा सीमा ने पहले तो शैम्पेन या वाईन लेने से इन्कार कर दिया था, पर दो पैग जब जिगोलो ने चढ़ा लिए, तब जिगोलो के विनम्र आग्रह पर रीमा तथा सीमा ने एक-एक पेग शेम्पैन का लगा लिया।
थोड़ी देर बाद जब ‘ग्रुप सेक्स’ का वीडियो देखते-देखते रीमा तथा सीमा पर शैम्पेन के नशे के साथ-साथ यौनिक सुरूर भी छाने लगा, तो दोनों पर दोगुनी मस्ती छा गई।
‘‘ऐ जिगोलो! अरे क्या नाम था तेरा यार!’’ रीमा नशे के झोंके में पूरी तरह मस्त होकर बोली, ‘‘अरे छोड़ यार नाम को तू, चल अभी मुझे डांस करके दिखा।’’ रीमा नशे में अब तक पूरी बेशर्म हो चुकी थी, ‘‘चल हमारे सामने निर्वस्त्र होकर अपनी पिछाड़ी और अगाड़ी को मस्त तरीके से हिला-डुलाकर एक बहुत सेक्सी डांस दिखा। हम भी तो देखें, कि अपने जिस ‘हथौड़े’ की तो बड़ी तारीफ कर रहा था, उसकी शेप कैसी है? क्या साईज़ है, कितना दमखम है? व दिखने में कैसा लगता है?’’
‘‘हां, मेरी सहेली सही कह रही है।’’ सीमा भी रीमा के रंग में रंगकर बोली, ‘‘चल पूरी तरह निर्वस्त्रा होकर पहले आगे-पीछे से अपने आपको दिखा। कहीं ऐसा न हो, कि तुझे कोई एसटीडी लगी हो, जो हमें लग जाये।’’
सीमा के मुंह से ऐसा सुनते ही जिगोलो को बेहद गुस्सा आया। परन्तु वक्त की नजाकत को देखकर वह अपने गुस्से को उसी वक्त पी गया और नम्र अन्दाज में बोला, ‘‘मैडम! यह लो मेरा मेडिकल सर्टिफिकेट और ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट। यहां आने से पहले मैंने अपने वेल क्वालिफाईड डाॅक्टर से ब्लड टेस्ट एच.आई.वी. टेस्ट तथा एसटीडी टेस्ट करवा लिया था और यह रिपोर्ट भी मैं अपने साथ लाया हूं।’’
कहते हुए जिगोलो ने अपनी पैन्ट की पिछली पाॅकेट से तीन-चार फोल्ड किये पेपर निकाले और रीमा की तरफ बढ़ा दिये। रीमा तथा सीमा उन्हें ध्यान से पढ़ने लगी और डाॅक्टर का नाम पता व फोन देखने लगी।
फिर रीमा ने डाॅक्टर को फोन मिलाया और सन्दीप के बारे में पूछा। फिर उसकी मेडिकल रिपोर्ट की चर्चा की, तब डाक्टर ने स्पष्ट कर दिया, कि उसने आज की तारीख में सब टेस्ट किये हैं और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है। उसे किसी प्रकार का कोई रोग नहीं है।
यह जानकर रीमा को बड़ी खुशी हुई। वह नम्र अन्दाज में बोली, ‘‘साॅरी जिगोलो जी! हमें भी तो हक है न अपनी सुरक्षा की, बस यही जानना था। तुम एक भले तथा बेहतरीन जिगोलो साबित हुए। अब निर्वस्त्रा होकर हमें जरा-सा डांस दिखा दो न।’’
‘‘हां… हां क्यों नहीं!’’ जिगोलो ने कहा, ‘‘वैसे एक बात पूछूं, तो कहीं बुरा तो नहीं मानेंगी आप दोनों?’’
‘‘हम भला बुरा क्यों मानेंगी?’’ दोनों एक साथ मुस्करा कर बोलीं, ‘‘तुम बेझिझक अपनी बात कह सकते हो।’’
‘‘मैं बिकाऊं हूं, तो मेरी हर चीज़ चैक की जा सकती है। यहां तक कि मेडिकल भी साथ रखना पड़ता है।’’ स्पष्ट लहजे में बोला जिगोलो, ‘‘इस बात की क्या गारन्टी है, कि आप दोनों भी स्वस्थ्य हैं? और आपको सेवा प्रदान करने के बाद मुझे एड्स या और कोई बीमारी लग गई, तो उसके ईलाज का खर्चा कौन देगा?’’
‘‘ओह माई गाॅड!’’ रीमा ने हैरान होते हुए कहा, ‘‘वाकई जिगोलो जी। तुम भी इंसान हो और तुम्हें भी यह हक है, कि तुम अपने कस्टमर की जांच परख कर सको। मैं अपनी फैमिली डाॅक्टर मिसेज मन्डर मल्होत्रा से इसी वक्त बात करवा सकती हूं, कि मुझे किसी प्रकार का कोई संक्रामक रोग है या नहीं? वही मेरी सहेली सीमा की भी फैमिली डाॅक्टर हैं। हम दोनों की पुष्टि तुम कर लो।’’
फिर जिगोलो ने भी अपनी पूरी तरह से संतुष्टि कर ली थी।
दोनों ओर से पूर्ण संतुष्टि के बाद रीमा बोली, ‘‘हम दोनों सहेलियां बहुत प्यासी हैं। हमारे पति हमें धोखा दे रहे हैं। वे दोनों अक्सर खूबसूरत रखैलों के साथ अपने बदन की खुमारी निकालते रहते हैं। हम दोनों भी चाहती हैं, कि तुम हम दोनों की अच्छी-खासी सेवा करो।’’
जिगोलो ने कुछ नहीं कहा और तपाक से अपनी पैन्ट व टी-शर्ट मात्रा छह सैकेण्ड में उतार कर केवल अन्डर वियर तथा बनियान में डांस करने लगा।
रीमा तथा सीमा को जिगोलो का डांस बेहद मजेदार लगने लगा। रीमा ने भी उठकर डांस चालू कर दिया। वह बार बार जिगोलो के वी-शेप के अन्डरवियर में छिपे प्राणी को झकझोर कर उठा देना चाहती थी। उसे आक्रामक तरीके से छूकर, फिर छोड़ देती।
उसी वक्त मस्ती में सीमा भी ऐसा करने लगी, तो जिगोलो का निन्द्रा अवस्था को प्राप्त प्राणी अंगडाई लेकर उठने लगा। उसी वक्त रीमा ने जिगोलो का वी-शेप का अंग-वस्त्रा उतार डाला। जिस तरह स्प्रींग को खींच कर अचानक छोड़ दिया जाता है, ठीक उसी अन्दाज में अंग-वस्त्रा के अंदर दबा सर्प फुफकारता हुआ, पिटारे से बाहर आ गया और अपना फन फैलाकर यहां-वहां हिलने-डुलने लगा।
‘‘हाय! कितना प्यारा है। कितना पर्सनेल्टी वाला है।’’
रीमा ने नीचे झुककर उसे दोनांे हाथों में थामकर मुंह के करीब ले गई, तो वह वहां से उठती महक की मस्ती में खो गई, ‘‘ओह माई गाॅड! कितनी मस्ती भरी महक इससे आ रही है। कितना मस्ती वाला परफ्यूम इसने अपने रोम केशो में लगा रखा है। मैं तो इसे टाॅफी की तरह चबा जाऊंगी।’’
रीमा, बरबस ही जिगोलो के बेहद खूबसूरत तथा जोशीले ‘बदन’ को अपने गुलाबी अधरों का प्यार प्रदान करने लगी। इस हरकत को देखकर सीमा से न रहा गया। वह भी आगे बढ़ी और नीचे झुककर रीमा के मुख से सेक्सी ‘निवाला’ छीनकर स्वयं ग्रहण कर लिया।
‘‘ऐ क्या करती है सीमा?’’ झल्ला कर रीमा बोली, ‘‘कम से कम मुझे देख, समझ तो लेने देती।’’
दूसरी तरफ जिगोलो मन ही मन मुस्करा रहा था, “भूखी शेरनियां हैं, पहले कभी जैसे ऐसी वस्तु देखी ही न हो।” उसके दिल में एक पैग और पीने का ख्याल आया तो वह बोला, “थोडी देर के लिए मुझे छोड़ो, मैं एक पैग लगा लूं, फिर तसल्ली बख्श तरीके से अपनी मनमानी कर लेना।”
रीमा ने उसे आजाद कर दिया। अभी जिगोलो पैग बना ही रहा था, कि सीमा उसके करीब पहुंची, उसकी टांगों के बीच बैठ कर अपनी मनचाही ‘वस्तु’ को ठीक उसी तरह लपक लिया, जिस तरह क्रिकेट के मैदान में विरोधी टीम के खिलाड़ी को आउट करने के लिए मुश्किल से मुश्किल कैच खिलाड़ी द्वारा लपकी जाती है।
‘‘अरे भई मुझे पैग तो पी लेने देंती आप।’’ वह बोला, ‘‘अभी छलक जाती।’’
सीमा ने बड़े की कातिलाना अंदाज में जिगोलो को देखते हुए मस्ती भरा जवाब दिया, ‘‘स्वीट हार्ट! आप पैग पिजिए न। मैंने आपके हाथ थोड़े ही पकड़े हैं। मैंने तो आपका कुछ और ही…मेरा मतलब है आप अपना पैग पीजिए।’’ सीमा उसके नीचे वाले पैमाने को हिलाकर बोली, ‘‘और मैं तुम्हारी टांगों के पास अपना जाम पीती हूं।’’
सीमा ने अपनी प्रिय वस्तु को तुरन्त लपक लिया, यह सोचते हुए कि कहीं रीमा अपना नम्बर न लगा दे। जैसे ही जिगोलो ने पैग फिनिश किया। उसी वक्त रीमा भी करीब पहुंच गई और अपनी बारी आने का बेसब्री से इंतजार करने लगी। इस बीच वह रीमा ने जिगोलो के नितम्बों पर हाथ फेरना आरंभ कर दिया और जिगोलो उसके गोरे उजले उरोजों का मर्दन करने लगा।
जिगोलो के जबरदस्त उठान भरे पर्वतिये गुणों वाले स्वामी को दो सहेलियां अंधरों तथा तालु का मौखिक प्रेम बार-बार इसलिए प्रदान कर रही थीं, क्योंकि ऐसी सख्त तथा ठोस जान विषय वस्तु का अनुभव दोनों ने कभी नहीं किया था। दूसरी आकर्षण की एक वजह यह भी थी, कि उसके उस जोशीले सख्त ‘महमान’ से मादक सेन्ट(परफ्यूम) की खुशबू आ रही रही थी।
उसी वक्त कहीं दूर एक हिन्दी फिल्म का गाना चलने लगा, ‘‘मुझे छू रही है तेरी गर्म सांसे, मेरे रात और दिन महकने लगे हैं।’’
यह गाना सुनकर जिगोलो रोमांचित हो गया था। उसे अपनी प्रेमिका की याद आने लगी थी। उसकी प्रेमिका ने कई दफा उससे आग्रह किया था, कि वह उसे अपने प्रेम का ‘कटोरा’ सौंपना चाहती है, उसके साथ हम-बिस्तर होकर निहाल होना चाहती है।
पर हर दफा सन्दीप उसे यह कहकर मना कर देता था, कि वह इश्क की मर्यादा को तोड़ना नहीं चाहता। जबकि असली बात तो यह थी, कि वह अपने बदन का ‘प्रेमरस’ केवल धनवान लड़कियों के लिए तथा अमीर औरतों के लिए बचा कर रखना चाहता था।
उसकी सोच यह थी, कि प्रेमिका उसे जिस्म ही तो सांप रही है, पैसा तो नहीं दे रही। यदि वह एक दफा में एक अमीर औरत या लड़की को अपने प्रेम नीर से सन्तुष्ट कर दे, तो उसे 50.60 हजार रुपये मिल सकते है। फिर बेकार में भला प्रेमिका पर मेहनत मशक्कत क्यों की जाये?
अपने अपने शरीर में अधिक से अधिक प्रेमरस बनाने के लिए वह बेहद पौष्टिक पदार्थों का सेवन करता था। दिन में दो दफा अपने कमाई करने वाले नीचे के ‘साथी’ की मालिश करता था। किसी भी लड़की से फालतू बात नहीं करता था। ध्यान तथा योग के माध्यम से अपनी स्खलन सीमा को बढ़ाने के लिए साधनाएं करता था।
बरबस सन्दीप के मुख से निकल गया, ‘‘साॅरी प्रियंका तुम्हें मैं अपना शौर्य पेश कभी न कर सका।’’
उस वक्त तक सन्दीप यानि जिगोलो को काफी नशा चढ़ चुका था और उसका नेचुरल स्टामिना भी बढ़ गया था। वह वियाग्रा की गोलियां कभी नहीं खाता था। सब कार्य अपनी विल पावर तथा योग-ध्यान के बलबूते पर करता था।
यह सब बातें उसने अपने खास कैमिस्ट मेडिकल सर्टिफिकेट में लिख रखी थीं। सन्दीप की तन्द्रा तब भंग हुई, जब उसने महसूस किया, कि उसके कमाई करने वाले नीचे के ‘साथी’ को किसी ने दांतों में चबा लिया है।
‘‘ओह बहन की…।’’ वह आगे कहते कहे रूक गया। उसके मुख से अचानक प्रियंका का नाम निकल गया, ‘‘ऐ प्रिंयका की बच्ची! तुझे पता नहीं, कि इसके साथ इस तरह का खिलवाड़ मुझे कतई पसंद नहीं। इसका फेस बिगड़ गया, तो इसे कोई पैसा नहीं देगा। इसकी पर्सनेल्टी की बदौलत ही मैं काफी पैसा कमा लेता हूं समझीं।’’
‘‘ओह! तो मियां को अपनी प्रेमिका प्रियंका की याद आ रही है।’’ रीमा मुस्करा बोली, ‘‘खैर हमें क्या, हमें तो अपने ‘काम’ से मतलब है।’’
रीमा और सीमा का मन जब मुख दुलार से ऊब गया, तब रीमा पलंग पर लेट गई और बोली, ‘‘अब ‘असली’ प्रोग्राम प्रारम्भ करो।’’
सन्दीप समझ गया। उसने पलंग पर चढ़कर अपने घोड़े पर रीमा के नितम्बों को रखा तथा चिर-परिचित ठिकाने पर यों हमला बोल दिया।
‘‘आउच्च!’’ रीमा के लबों से एक कसमसाहट भरी कराहट निकली, ‘‘ओह मिस्टर! जरा धीरे-धीरे चलो। एक ही बार में पूरी यात्रा तय करनी है क्या?’’ वह कराहते हुए बोली, ‘‘वह गाना नहीं सुना तुमने ‘जरा धीरे-धीरे चलो मेरे साजना, हम भी लेटे हैं आगे तुम्हारे’।’’
संदीप बेहतर जानता था, कि खेली खाई औरतों को क्या चाहिए? और उनके साथ कैसा बर्ताव किया जाना चाहिए? यह सब उसने एक सिगमण्ड फ्रायड केथैले काल जुंग के चेले माईलो फिकेली की पुस्तक से सीखा था।
जब सन्दीप ने लगातार तथा विद्युत गति से आवागमन की प्रक्रिया आरम्भ की तो दूसरी सहेली ने भी वैसा ही कार्यक्रम करवाना चाहा। फिर उसी वक्त सन्दीप ने दूसरी सहेली को भी उसी अन्दाज में भोगना शुरू कर दिया, जैसे पहली सहेली को भोगा था।
जब सन्दीप, सीमा के अंधेरे ‘बिल’ में अपने ‘टाॅर्च’ से प्यार की रोशनी कर रहा था, तब ऐसी दशा में प्यासी तथा कामना की लालची रीमा चुप कैसे रहती?
फिर अचानक रीमा पलंग पर उठ खड़ी हुई और सन्दीप के मुख को अपने पे्रम-पात्रा के पास लाकर दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। सन्दीप समझ गया था, कि वह क्या चाहती है? सन्दीप खेला-खाया तथा अनुभव प्राप्त वासना की क्रीडा का प्लेयर था।
सो वह समझ गया और अपना मुख रीमा के प्रेम-पात्रा में ठूंस कर वासनामयी कार्य प्रारम्भ कर दिया। रीमा पूरी मस्त होकर बावली हो गई। वह ऊपर-नीचे होकर अपने प्रत्यंग को ऐसे रगड़ रही थी, मानो कोई चाबी बनाने वाला कारीगर चाबी बनाने के लिए रेति चाबी के खान्चे में डाल कर रगड़ता है।
सन्दीप ने भी जवाब में अपनी जिह्वा को पूरी तरह नोकदार बना कर प्रत्युत्तर दिया।
‘‘ओह माई गाॅड!’’ एकाएक रीमा के मुख से निकल गया, ‘‘बड़ा मंझा हुआ खिलाड़ी है रे तू। मजा आ गया मस्त कर दिया रे तूने।’’
सन्दीप अपनी तारीफ सुनकर हल्के-हल्के दांत भी मारने लगा, तो रीमा मुख से सीत्कारें निकलने लगी, ‘‘ओह माई गाॅड! बिच्छुआ बन गया है क्या रे तू? दैया रे डस गयो पापी बिच्छुआ। ऐ कातिल दान्तों वाले जरा नर्म अन्दाज में काट रे। ऊई मां उसे दान्तों में मत ले रे, भूतनी छूट जाएगी, जो अभी तक बन्धी है, इस गुफा में। ओह हाय रे! आऊच्च, जरा नीचे की तरफ कर न।’’
रीमा मस्ती के आलम में वासना की दुनियां मंे पहुंच गई थी। पराकाष्ठा की विचित्रा दुनियां में विचरण करने लगी थी। सन्दीप ने अपने दोनों हाथों से रीमा के नितम्बांे को थाम रखा था और उस नितम्बों की मध्य घाटी में स्थित पतली काली नदियां के पार्टों के बीच अपनी तर्जनी का चप्पू चलाकर उसे और अधिक आनंदित कर रहा था।
सीमा उस समय यह चाहती थी, कि सन्दीप उसके उरोजों को अपने दोनांे हाथों की मुठ्ठियों से थाम कर जोरदार तरीके से बस्ती स्थान के प्रांगण से थोड़ी-सी दूरी पर स्थित काम कन्दरा में धंसे प्रिय प्राणी की हरकतों को तवज्जु देते हुए स्पीड बढ़ा दे।
पर उस वक्त सन्दीप एक साथ दो-दो काम कर रहा था। अतः वह रीमा की काम कन्दरा के बीच जिह्वा रूपी जन्तु चलाकर मस्त हो गया था। पर जब सीमा ने संदीप से कहा, ‘‘ओए जिगोलो! मेरे उरोजों को सख्ती से पकड कर मेरी काम-कन्दरा में धंसे पुरुषीये प्राणी से जरा सख्ती से काम लो।’’
करीब 28 मिनट के बाद सन्दीप को लगा, कि वह अब अधिक समय तक अपने आपको शांत अवस्था में न रख सकेगा। लिहाजा रीमा के त्रिकोणात्मक त्रिभुज से मुख हटाकर वह हांफते हुए बोला, ‘‘अरे जालिमों मुझे घोड़ा न समझो। मैं भी एक इन्सान हूं। बस और अधिक समय तक मैं अपने आपको रोक न सकूंगा।’’
‘‘ठीक-ठीक है।’’ दोनों सहेलियां उत्तेजना में हांफते हुए बोलीं, ‘‘अब तो हमसे भी सब्र नहीं होता। अब तुम एक-एक कर हम दोनों की सवारी करो और पूरी तरह जोश में हमें बिस्तर पर पस्त कर डालो।’’
उसके बाद जिगोलो दोनों सहेलियों को बडे़ ही मस्त अंदाज में भोगने लगा। दोनों सहेलियां रह-रहकर मादक सीत्कार भरते हुए अपने चरम पर पहुंचने का संकेत दे रही थीं। फिर देखते ही देखते जिगोलो ने दोनों सहेलियांें को पूर्ण संतुष्टि प्रदान कर दी। यानी रीमा और सीमा दोनों अपना प्रेमी-नीर बहा कर ठंडी पड़ गई थीं।
मगर वासना रूपी लालच अब भी इतना था भरा था दोनों में कि वह जिगोलो के अंग को हाथ व मौखिक दुलार से मुक्त नहीं कर रही थीं। दरअसल वह जिगोलो का प्रेमरस निचोड़ देना चाहती थीं। वह देखना चाहती थी, कि कैसे और कितनी मात्रा में जिगोलो का खूबसूरत ‘तोता’ उल्टी करता है? साथ ही दोनों में होड़ थी, कि वह इस ‘रस’ का स्वाद भी अपने कंठ में महसूस कर सकें।
इसी लालसा में दोनों ने एक साथ मिलकर अपने हाथों से तथा मुख से उस प्यारे प्राणी का खूब स्वागत किया और समय आने पर सन्दीप ने उन्हें महा तोहफा प्रदान किया, जो श्वेत प्रेम रस से भरा था। उस प्रेम रस को प्राप्त करके दोनों सहेलिया धन्य हो गई।
उसके बाद तीनों ने थोड़ी देर के बाद विश्राम किया और दो घन्टों बाद सन्दीप ने दोनों सहेलियों को पुनः पहले जैसा यौनानन्द दिया और सन्तुष्टी प्रदान करने के बाद अपनी शेष फीस लेकर चला गया।
दोनों सहेलियों ने सन्दीप से उसका फोन नम्बर पूछा, तो सन्दीप ने अपना नम्बर तो बताया, पर वह गलत था। दोनों सहेलियां, सन्दीप को पुनः बुलाना चाहती थीं, पर सन्दीप ने उनसे दुबारा कभी सम्पर्क नहीं किया।
वह तो आवारा भंवरा था, जो अपनी पसन्द की महिला ग्राहकों को ढूंढता था और उन्हें बेहतरीन किस्म का यौन सुख देकर हमेशा-हमेशा के लिए गायब हो जाता था।
सन्दीप कभी दोबारा रीमा तथा सीमा के बुलावे पर उनके पास नहीं आया। दोनों सहलियां उसकी दिवानी हो गई थीं। उस दिवानगी में दोनों ने अपने-अपने पतियों से आपसी सहमति से तलाक ले लिया और बच्चों को भी छोड़ दिया।
वासना में डूबी दोनों सहेलियांे ने अपना बसा-बसाया घर बर्बाद कर लिया।
कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र हो सकता है।