सभी की जिन्दगी में कभी ना कभी ऐसा मौका आता ही है जब लड़कियाँ खुद उसे मिलती हैं और सेक्स का निमंत्रण देती हैं।
दोस्तो, मेरी जिन्दगी में भी ऐसा एक मौका आया जब मैंने बारहवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए स्कूल जाना शुरू किया था। मेरे स्कूल का रास्ता एक ऐसी कालोनी से होकर गुजरता था जहाँ पर जयादातर लोग व्यापारी थे, उन घरों में आदमी सुबह जल्दी दुकानों पर चले जाते थे और देर शाम तक घर आते थे।
स्कूल से आते समय एक घर की खिड़की में एक लड़की अक्सर बैठी दिखाई देती, शुरू शुरू में तो ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर कुछ ही दिनों में ऐसा लगने लगा कि वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती है और नीचे देखने लगती है।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा और यह हर रोज़ का काम हो गया, हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराते, हाथ से इशारा करते और मैं अपने घर आ जाता।
एक दिन वो मुझे बैठी नहीं दिखाई दी तो मेरे मन जैसे बेचैन हो गया और दिल में बुरे बुरे ख्याल आने लगे कि कहीं किसी ने हम दोनों को इशारे करते हुए देख तो नहीं लिया और मैं अचानक उसके घर के सामने खड़ा हो गया कि शायद वो अभी आ जाएगी।
मैं लगभग आधा घंटा खड़ा रहा, पर वो नहीं आई।
उस रात मुझे नींद नहीं आई, सोचा कि चलो कल मुलाकात हो जाएगी, पर वो अगले दिन भी नहीं दिखाई दी तो दिल में एक दर्द सा का एहसास हुआ।
पर मेरी भी लाचारी थी और मैं घर आ गया।
कहते हैं सबर का फल मीठा होता है और मुझे भी शायद मीठा फल ही मिलना था।
अगले दिन मैं बुझे मन से स्कूल से आ रहा था कि वो मुझे उसे खिड़की में बैठी दिखाई दी, उसने मुझे देखा पर उसके देखने में वो चमक नहीं थी, बस हल्के से मुस्कुराई और उठ कर चली गई।
मेरा मन जैसे तड़प उठा क्यूंकि मुझे ऐसा लग रहा था कि कुछ न कुछ बात जरूर है पर मैं उससे पूछ नहीं सकता था।
खैर अगले दिन वो बैठी दिखाई दी, मैं भी थोड़ा दूर खड़ा हो गया और उसे मिलने का इशारा किया, वो भी जैसे तैयार बैठी थी, उसने खिड़की से नीचे एक कागज़ फेंका और अन्दर चली गई।
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मैंने भाग कर वो उठाया और तेज़ कदमों से अपने घर आ गया और वो कागज़ खोल कर पढ़ा तो जैसे मुझे तो जैसे भगवान् मिल गया हो, उसमें उसने अपना मोबाइल नंबर लिखा था और बताया था कि रात को दस बजे के बाद ब्लैंक मेसेज कर देना, अगर मेरा जवाब आ गया तो हम चैट करेंगे।
मैं तो बस दस बजने का इंतज़ार करने लगा, और ठीक दसे बजे उसे ब्लैंक मेसेज कर दिया।
मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा पर दो तीन मिनट के बाद एक मेसेज आया जिसमें उसने अपना नाम लिखा था और मेरा पूछा था। दोस्तो, हमारा बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया था और हम दोनों देर रात तक मेसेज से बात करते और सो जाते।
बातों में हम बहुत खुल गए थे और सेक्सी बातें भी करने लगे थे। उससे बात करके मुझे ऐसा लगता था कि जैसे वो सेक्स के लिए उतावली है, शायद उसने ब्ल्यू फिल्में देख रखी हैं…
दोस्तो, मैं बता दूँ कि उसका नाम मेघा था और वो भी बारहवीं कक्षा की छात्रा थी पर उसका स्कूल अलग था।
उसने बताया कि उसके मम्मी पापा दोनों काम से बाहर जाते हैं पर मम्मी जल्दी आ जाती हैं। शनिवार के दिन मम्मी लेट आती हैं क्यूँकि उनको घर का सामान लेन के लिए मार्किट जाना पड़ता है।
हमने शनिवार को मिलने का प्रोग्राम बनाया, देखते देखते शनिवार भी आ गया और मैं स्कूल से थोड़ा जल्दी आ गया क्यूंकि मुझे मेघा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना था, वो भी जैसे बेसबरी से मेरा इंतज़ार कर रही थी, उसने इशारा किया और मैं सीधा ऊपर चला गया, उसने दरवाजा खोल के रखा था, मैं सीधा अन्दर गया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
उसने मुझे सोफे पैर बैठने का इशारा किया पर मुझे सबर कहाँ था, मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने सीने से लगा लिया और उसे चूमने लगा।
उसने कहा- सांस तो ले लो!
पर मुझे तो जैसे होश ही नहीं था, मैं उसे दीवानों की तरह चूमे जा रहा था, मेरे हाथ उसके मम्मे दबाने लगे थे और मेरा लंड खड़ा हो चुका था, उसे शायद मेरा लंड चुभने लगा था, वो थोड़ा पीछे हुई तो मैंने उसे जोर से अपने से सटा लिया और जोर से उसके मम्मे दबाने लगा।
उसके होटों को तो जैसे मैं खा जाना चाहता था, बहुत रस भरी थी मेघा!
अब तक मेघा भी गरम होने लगी थी और मेरा साथ देने लगी, उसका हाथ मेरी पैंट पर गया और उसने मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगी।
लंड पकड़ कर तो वो और भी मस्त हो गई थी उसके मुख से सिसकारी निकलने लगी थी, मैंने आपना लंड उसके नरम होंटों पर लगाया तो पूरा लंड अपने मुंह में ले गई और जोर से चूसने लगी।
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इतने में मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए थे और स्कर्ट उतार दी थी, वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में मेरे मेरा लंड चूस रही थी। मैंने उसकी ब्रा खोल कर उतार दी।
यारो, इतनी मस्त लड़की मैंने पहली बार देखी थी, और सही तो यह है कि इस हालत में लड़की ही पहली बार देखी थी।मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू किए और वो बिल्कुल गर्म हो गई थी, उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था और वो मेरी बाँहों में झूलने लगी, मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा लिया और उसके ऊपर आकर उसका नंगा बदन चूमने लगा।
दोस्तो, वो मुझे ऐसे लग रही थी जैसे माखन में मिसरी मिली हो, उतनी ही चिकनी और उतनी ही मीठी… मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को ऊपर से सहलाने लगा।
वो जैसे मचल उठी और बेकाबू हो कर मुझसे लिपट गई, उसकी चूत बहुत भीगी हुई थी, मैंने उसकी पेंटी उतार दी और अपने होंठ उसकी भीगी चूत पर रख दिए, उसकी चूत की खुशबू से मैं भी दीवाना हो गया था, बस अब रुका नहीं जा रहा था और मैं अपना लंड उसकी कुंवारी चूत में डालना चाहता था।
वो बहुत मस्त हो रही थी पर शायद चुदाई से डर रही थी।
मैंने उसके कान में कहा- डरो नहीं, इसमें बहुत मज़ा है।
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मेरे कहने पर वो मान गई, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और जोर से धक्का दिया, वो चिल्लाने लगी और चूत से लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी, पर मुझे पर तो जैसे काम सवार था मैंने उसे जोर से पकड़े रखा और अपना लंड उसकी चूत से निकलने नहीं दिया बल्कि उस पर लेट कर उसके मम्मे चूसने और दबाने लगा।
वो कुछ देर में ही अपना दर्द भूल कर मेरा साथ देने लगी, मैंने भी मौका देखा और उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, वो भी अपने चूतड़ उठा कर चुदाई में साथ देना लगी, पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंजने लगा।
दस मिनट के बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया और उसके नरम नरम पेट पर अपना वीर्य गिरा दिया।
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कुछ देर बाद उसने मुझे बताया कि थोड़ी देर में ही उसकी मम्मी आ जाएगी तो मुझे अब जाना चाहिए।
मन तो नहीं कर रहा था लेकिन मज़बूरी थी और मैं वहाँ से अपने घर आ गया, उसके बाद तो जैसे हर शनिवार को हम हनीमून मनाने लगे। उसने बताया कि उसके चाचा की लड़की भी छुट्टियों में आ जाएगी..
दोस्तो आगे की बात अगली कहानी में!