1 या 2 बजे सरदार जी रात को मेरी दीदी की चारपाई के पास बेठ गया. सरदार जी मेरी दीदी को धीरे धीरे सहलाने लगा. मेरी दीदी राधिका चुपचाप पड़ी रही. थोड़ी देर के बाद सरदार जी ने मेरी दीदी का फ्रॉक ऊँचा करके उसके स्तन (बूब्स) को दोनो हाथो मे पकड़ कर मसलने लगा और दबाने लगा. मेरी दीदी राधिका भी उतेज़ित होकर मजा लेने लगी.
थोड़ी देर बाद मे सरदार जी मेरी बहन को खींच कर बाथरूम की तरफ ले जाकर चुदाई करने ही वाला था की मेरी माँ जाग गयी. सरदार जी डर कर भाग गया. मेरी दीदी राधिका शरीफजादी बनकर अपनी सफाई देने लगी की मुझे खबर नही थी की सरदार जी मेरी चारपाई पर आकर उसे कब से दबोच कर उसके स्तन को मसल कर सहला रहा है. मेरी दीदी राधिका का हमारे पड़ोस मे रहने वाला मुसलमान के लड़के के साथ नाजायज़ सेक्स सम्बन्ध थे. उस समय उसकी उम्र 18 साल थी. एक रात को जब मेरी माँ ने देखा की मेरी दीदी राधिका घर मे पलंग पर सोई हुई नही है. उसने मुझे जगाया. मैने आस पास जाकर देखा और उसको ढूँढने लगे. रात के 2 बजे मेरी दीदी मियाँ के पास जाकर चुदवा रही थी. मियाँ का नाम कल्लू था. कल्लू ने मेरी दीदी को पूरा नंगा करके उसकी कुँवारी चूत मे अपना मोटा 9 इंच का लंड डाल दिया.
मेरी दीदी राधिका की चूत की झिल्ली फट गयी थी और चूत भी फट गयी थी. दीदी की चूत में से खून निकल रहा था. मेरी दीदी राधिका ठीक तरह से चल भी नही पा रही थी और लंगड़ी लंगड़ी चल रही थी. मेरी दीदी ने अंदर चड्डी भी नही पहनी थी सिर्फ़ फ्रॉक पहना था. मेरी दीदी की चूत चुदाई की वजह से सूजकर (फूलकर) लाल टमाटर की तरह हो गयी थी. उसकी योनि (चूत ) भी फट गयी थी. दीदी की चूत में से कल्लू मियाँ का वीर्य और पहली चुदाई का खून निकल कर मेरी दीदी की चूत से धीरे धीरे निकल कर जाँघ पर से टपक टपक कर बह रहा था और पैर में भी खून के दाग दिखाई दे रहे थे. मेरी दीदी की चूत पर बाल भी नही थे क्योकी दीदी ने अपनी चूत के बाल ब्लेड से काटे थे. इसलिये दीदी की चूत बिल्कुल साफ दिख रही थी.
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दीदी की चूत एकदम लाल लाल टमाटर की तरह दिख रही थी और चूत का अन्दर भाग एकदम लाल कलर का था. मेरी माँ ने घर ले जाकर उसे पलंग पर सुला कर उसका फ्रॉक उतार कर दीदी को नंगी करके दीदी की चूत देखी. दीदी की चूत फटी हुई थी और चुदाई की वजह से लाल हो गयी थी. दीदी की चूत में से वीर्य और पहली चुदाई का खून निकल कर उसकी जाघो और फ्रॉक पर गिरा था. फ्रॉक पर भी कही जगह खून के लाल दाग की वजह से खराब हो गये थे. दीदी रो रही थी और सिसकारिया मार रही थी. मेरी दीदी की चुदाई की वजह से बुरा हाल हो गया था. मेरी माँ ने उसे खूब पिटा और कहने लगी रंडी चुदाई के मज़े लेकर आ गयी.
मियाँ ने तो तेरी चूत की बराबर की चुदाई की है, तेरी चूत तो फट गयी है और खून के साथ मियाँ का पानी भी तेरी चूत से निकल कर जाँघो पर बह रहा है. रंडी मियाँ से काला मुँह करवा लिया. उसने तुझे चोदते समय निरोध लगाये थे की नही? मेरी दीदी ने रोते हुये कहा उसने निरोध लगाये बिना ही मुझे चोदा है. मियाँ ने मुझे कहा था की निरोध लगाकर चोदने से चुदाई का मज़ा नही आता है, इसलिये उसने मुझे निरोध लगाये बिना ही चोदा है. मेरी माँ ने पूछा रंडी जब तुझे लंड डाला तब चिल्लाई नही और अब रो रही है, मियाँ ने दिल खोल कर चूत की चुदाई करके मज़े लिये है. रांड़ चड्डी कहाँ पर डाल कर आई है? मेरी दीदी कुछ भी नही बोली.
मेरी माँ ने उसे बाथरूम में ले जाकर दीदी को नहलाया और दीदी की चूत में अपनी उंगली डाल डाल कर रग़ड रग़ड कर दीदी की चूत पानी से साफ की. माँ को डर था की कही मियाँ का वीर्य राधिका के गर्भाशय में चला गया हो तो शायद उसकी बेटी गर्भवती (प्रेग्नेंट) हो सकती है मियाँ के नज़ायज़ बच्चे की माँ बन कर. मेरी दीदी खूब ही चिल्लाती थी और झटपटाती रहती थी. वो कराह रही थी और सिसकारिया मार मार कर रो रही थी. मेरी दीदी अपनी पहली चुदाई की वजह से दूसरे दिन बिस्तर पर से उठ भी नही पा रही थी. मेरी दीदी को पलंग पर पूरा नंगी देखकर और उसकी गोरी गोरी लाल लाल टमाटर की तरह सूजी हुई चूत देखकर मुझे भी इच्छा हुई और मेरी भी कामुकता भड़काने लगी की अपनी रंडी दीदी को चोद दूँ. लेकिन उतनी हिम्मत नही की उसकी चुदाई करूँ.
मेरी माँ ने उसे लेडी डॉक्टर के पास ले जाकर गर्भ निरोधक गोलिया खिलाई, वरना वह भी अपने कुंवारेपन में ही गर्भवती (प्रेग्नेंट) हो जाती, और मियाँ के नज़ायज़ बच्चे की माँ बन जाती. उसके बाद जब भी मेरी दीदी को मोका मिलता चुपचाप घर से निकल कर मियाँ के पास जाकर अपनी मस्त चुदाई करवा के आती. जब भी वह चुदवा के आती, दीदी ठीक तरह से चल नही पाती थी, अपनी गांड और कूल्हे फेला फेला कर चलती थी. क्योकी मियाँ अपना 9 इंच के कड़क लंड से मेरी दीदी की चूत की बहुत बुरी तरह से चुदाई करता था. मुझे यह इसलिये मालूम है की मियाँ मेरे पड़ोस में रहता था और मुझसे बड़ा था लेकिन हम सब से उसकी दोस्ती थी.
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वह अपना लंड निकाल कर सब को दिखाता था. उसका लंड मोटा काले रंग का था. और झाट के बाल भी उसके बहुत सारे थे. मियाँ मुझसे कहता था की तेरी दीदी की तो में मस्त चुदाई करता हूँ, ज़रा अपनी दीदी की चूत तो देख कर आ. में क्रोध से तिलमिला उठता था लेकिन में कुछ नही कर सकता था क्योकी जब दीदी ही अपनी मर्जी से उसके पास जाकर चुदवाती है. एक दिन सुबह मैं अंदर के रूम में अचानक गया. हमारे अंदर के रूम मे ही नहाने धोने के लिये बाथरुम है. अंदर जाते ही मैने देखा की मेरी दीदी पूरी नंगी खड़ी है. उसके बदन पर एक भी कपड़ा नही था. उसकी चूत पर खूब सारे झांट के बाल थे.
उसके स्तन भी बड़े बडे गोलाई लिये हुये सुडोल और भरावदार थे, अभी भी दीदी के स्तन पहले से ज़्यादा बड़े बड़े साइज़ के और मस्त है. मैं अपनी दीदी को पूरा नंगी देख कर बोखला गया. मेरी दीदी राधिका भी शर्मा गयी, और शर्म से लाल लाल होकर अपना मुँह नीचे करके अपनी आँखे नीचे की तरफ झुका ली. मेरे दिलो-दिमाग मे कामुकता का भूत सवार हो गया. मैं अपनी दीदी से ही संभोग करने के लिये मानो उतावला होकर पागल सा गया और अपनी ही दीदी की चुदाई करने के लिये तड़पने लगा. लेकिन मजबूर था, क्योकी बाहर के किचन मे से मेरी माँ चिल्लाने लगी की तेरी दीदी नहा रही हे. मुझे मजबुर होकर वापस लोटना पड़ा. उसका मुझे आज भी बहुत ही खेद और दुख है की अपनी जिं
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