Desi Hindi Sex Stories
मैं रोज रात को उनके ही बारे में सोच कर अपने लंड को मसला करता था और जब मन हद्द से पार होने लगा तो एक दिन जब हम बस स्टॉप पर बात कर रहे थे मैंने उन्हें मेरे साथ कहीं घूमने जाने की बात कर दी | हम एक जगह किसी अनजाने इलाके में उतरे और ऐसी ही वहीँ पठार के इलाके में चलते हुए बात करने लगे और मैंने देखा की वहाँ दूर दूर तक सन्नाटा ही था और कहीं था भी नहीं | हम वहीँ बैठकर बात करने लगे और मेरा रोमांस का कीड़ा भी जागने लगा | हम बातों में मग्न हो रहे थे और मैं अपनी उँगलियाँ उनकी जाँघों पर लहराने लगा | बीएस अब दीदी भी रोमांस के परवान चढ गयी और हम एक दूसरे को चुमते हुए बेसबर हो गए | मैंने दीदी के टॉप के अंदर हाथ डाल चुचों को दबाने लगा | मैं अब पूरी तरह तन गया और उन देसी लड़की, दीदी टॉप को उतार दिया और उनके चुचों को मुंह से पीने लगा |
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चुदाई का मन अब जोर देने लगा तो मैंने उनकी पैंट को उतार दिया और उनकी चुत में ऊँगली करने लगा जिसपर वो बार गरम हो उठी थी बिलकुल चुदाई के लिए तैयार | अब मैंने अपने लंड को देसी लड़की की चुत का रास्ता दिखा दिया था जसिमें मेरा लंड बिना रोके बस चुदाई की छप्प – छप्प आवाजें निकाले जा रहा था | हमें अब कामुकता का असली मज़ा आ रहा था | मैंने अब दीदी को अपने उप्पर बिठा लिया और नीचे से अपने लंड को देने लगा जिससे हम अब खूब मज़े में सिंहर रहे थे | मैं दीदी की चुत से में दुब चूका था और अपने लंड के आखिरी के झटकों में वहीँ चुत मुहाने पर मसलने लगा और सारा मुठ का मुठ निकल पड़ा | दीदी अब भी गहरी लंबी सांसें भारती हुई अपनी मद्धम नज़रों से मुझ पर प्यार बरसा रही थी और मुझे भी चुदाई का गर्व महसूस हो रहा था की मैंने एक जवान गोरी चुत मारी जिसे कोई पटाने के बारे में भी नहीं सोच पा रहा था |
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